
शिक्षक जेब से पिला रहे बच्चों को दूध!
सीकर. स्कूली बच्चों को दूध पिलाने की सरकारी योजना शिक्षकों के लिए सिर दर्द बनती जा रही है। विभाग की उदासीनता के चलते दूध पिलाने व पोषाहार पकाने में होने वाला खर्च शिक्षकों को कर्ज में डुबो रहा है। स्कूलों को मार्च, अप्रेल व जुलाई माह का पैसा अभी तक नहीं मिला है।
6 करोड़ 80 लाख 40 हजार का विभाग पर बकाया
ऐसे में दूध का 6 करोड़ 80 लाख 40 हजार रुपए का बिल बकाया चल रहा है। जिले में कुल एक लाख 62 हजार विद्यार्थी दूध पी रहे हैं। आने वाले दिनों में शिक्षकों के लिए दूध पिलाना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है। हर महीने शिक्षकों को अपनी जेब से ही दूध का पैसा चुकाना पड़ रहा है।
गले की फांस बन रही योजना
भाजपा सरकार के कार्य में कक्षा आठ तक के बच्चों को दूध पिलाने की योजना पिछले सत्र में शुरू हुई। योजना के तहत उच्च प्राथमिक स्कूलों के विद्यार्थियों को 200 ग्राम और प्राथमिक स्तर पर 150 ग्राम दूध मिलता है। लेकिन बजट के अभाव में अब योजना दिनों दिन स्कूलों के लिए गले की फांस बनती जा रही है।
योजना को लेकर सरकार की नीति साफ नहीं
प्रदेश में कांग्रेस सरकार आने के बाद जिस तरह से योजना के बजट में आनाकानी और सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार योजना जल्द बंद होने की कगार पर है। जिले में प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर के 1803 विद्यालय एवं कई मदरसें संचालित हैं। जानकारों की मानें तो हर माह में स्कूलों में दूध पिलाने की एवज में करीब 2 करोड़ 25 लाख रुपए का खर्च आता है।
जुलाई को छोडकऱ पिछला पूरा बकाया बजट आ चुका है, और ट्रेजरी में बिल भी भिजवा दिया गया है। जून तक की डिमांड से भी ज्यादा पैसा आया है। जल्द ही स्कूलों को भुगतान कर दिया जाएगा।
सुरेंद्र सिंह गौड़, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी, सीकर
Published on:
01 Aug 2019 07:13 pm
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