
फिर विभागों के फेर में उलझी जनता जल योजना
पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क
rajasthanpatrika.com
सरकार ने छह महीने पहले जनता जल योजना के संचालन का जिम्मा पंचायतीराज से जलदाय विभाग को दे दिया। लेकिन जनता के साथ पंप चालकों को अभी तक पूरी राहत नहीं मिली है। योजना में पंचायत स्तर पर लगे कार्मिकों का वेतन व बिजली बिल का भुगतान जलदाय विभाग से होना हैं। विभाग के पास बजट भी है, लेकिन सहायक अभियंता स्तर पर कर्मचारियों के दस्तावेज छह महीने बाद भी अधूरे हैं। एक कर्मचारियों को हर महीने 6734 रुपए मिलते हैं। पिछले छह महीने से कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला। अब ऐसे में गांवों में पेयजल सप्लाई बेपटरी हो सकती हैं। जानकारी के अनुसार 15 जून को जनता जल योजना पंचायतीराज से जलदाय विभाग को स्थानांतरित की गई। विभाग को एक मई से 30 सितंबर तकजिले के 316 कर्मचारियों के खाते में वेतन के 106.49 लाख रूपए जमा होने के आदेश जारी हुए। दीपावली से पहले जिन कर्मचारियों के दस्तावेजों का सत्यापन सरपंच की ओर हो गया, उनके खाते में सात लाख रुपए के करीब पैसा जमा हो गया। अब कार्मिकों का अक्टूबर का वेतन भी बकाया हो गया।
विभाग का दावा: जल्द कराएंगे भुगतान
जलदाय विभाग सीकर के अधिशाषी अभियंता रमेश राठी ने बताया कि पिपराली से 12 कार्मिकों की सूची मिली। इसमें से पांच कार्मिकों की मौत हो गई, सात कार्मिकों के बिल पास कर भुगतान के लिए भेज दिया है। धोद में छह में से तीन की मृत्यु और तीन कार्मिकों के मामले में विवाद चल रहा हैं। इधर, दांतारामगढ़ व पलसाना के 13 कार्मिकों में से 10 का भुगतान हो गया। शेष तीन कार्मिकों के बैंक खाता नंबर नहीं मिले। नीमकाथाना अधिशाषी अभियंता आरके मीना के अनुसार खंडेला, नीमकाथाना, अजीतगढ़ व श्रीमाधोपुर में केवल नीमकाथाना के 23 कार्मिकों के वेतन का भुगतान हुआ हैं। शेष पंचायतों में लगे 133 कार्मिकों के दस्तावेज अधूरे हैं। इधर लक्ष्मणगढ़ एक्सईएन सुभाष नेहरा ने कहा कि कार्मिकों के दस्तावेजों को एकत्रित कर रहे हैं। बजट की कोई कमी नहीं हैं, 15 से 20 दिन में बिल बनाकर कर भुगतान कर दिया जाएगा।
तालमेल नहीं होने से कर्मचारी परेशान
सरपंच व सहायक अभियंताओं के बीच तालमेल नहीं होने की वजह से समस्या बढ़ रही है। योजना में पंचायत स्तर पर लगे कुछ कार्मिकों के प्रति सरपंचों का रवैया भी ठीक नहीं हैं। वर्षों से लगे कार्मिकों के स्थान पर सरपंच अपने लोगों के नाम भेज रहे हैं। इस मनमुटाव के चलते कई कार्मिकों का वेतन अटका हुआ हैं। इस बीच कुछ कार्मिकों की मौत के बाद उनका वेतन भी अटक गया।
अधिकारियों के चक्कर लगाकर हुए परेशान
सात महीने से वेतन नहीं मिल रहा इसी वेतन से परिवार का गुजारा चल रहा है। जलदाय विभाग में जाते हैं तो विकास अधिकारी से पत्र लिखवाकर लाने के लिए बोलते है। अजीतगढ़ व श्रीमाधोपुर विकास अधिकारी एक-दूसरे के पास चक्कर लगवा रहे हैं। सात महीने से वेतन नहीं मिल रहा अधिकारियों के चक्कर लगाकर परेशान हो चुके हैं। कोई समाधान नहीं हो रहा है। इससे परिवार चलाने में भी मुश्किल हो रही है।
मुरारीलाल शर्मा, पंप चालक, गीदावाला ग्राम पंचायत सिहोड़ी
आठ महीने से अटका वेतन कैसे चले घर
आठ महीने से मानदेय का एक पैसा नहीं मिला है। इससे घर खर्चा चलाना भी मुश्किल हो रहा है। ग्राम पंचायत में जाते हैं तो कहते हैं कि अब जलदाय विभाग आपका भुगतान करेगा। जलदाय विभाग में जाते हैं तो पंचायत समिति के विकास अधिकारी के पास भेज देते हैं। विकास अधिकारी से बात करते हैं तो कहते हैं कि हमारे यहां तुम्हारा कोई लेना-देना नहीं। आखिर कर्मचारी अपनी पीड़ा कहें तो किससे कहें।
राजेंद्र बुडानिया, पंप चालक, ग्राम पंचायत नाथूसर, पंचायत समिति श्रीमाधोपुर
छह महीने से अटका वेतन विभाग जिम्मेदार
श्रीमाधोपुर पंचायत समिति की 16 ग्राम पंचायतों में पंप चालक लगे हुए हैं। ग्राम पंचायत की ओर से पहले प्रत्येक पंप चालक को हर महीने 5850 रूपए का भुगतान अप्रैल माह तक किया गया। 1 मई से इन पंप चालकों के वेतन का भुगतान जलदाय विभाग की ओर से होना हैं। विभाग 6 महीने से कार्मिकों का भुगतान नहीं कर रहा। जिसके कारण इन कार्मिकों की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही हैं। विभाग एवं पंचायत समितियों को मिलकर इन कार्मिकों के वेतन का भुगतान जल्द करना चाहिए।
केसर सिंह शेखावत, सरपंच संघ अध्यक्ष, पं.स. श्रीमाधोपुर
जिला परिषद: योजना जलदाय विभाग को दी
मुख्यमंत्री की बजट घोषणा के बाद योजना को जलदाय विभाग के सुर्पद कर दिया है। नए भुगतान जलदाय विभाग की ओर से ही किए जाने है। फिर भी कोई पुराना भुगतान है तो विभाग देने को तैयार है।
सुरेश कुमार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद सीकर
जलदाय विभाग: दस्तावेज सत्यापन के बाद भुगतान
जनता जल योजना के तहत पंचायत स्तर पर लगे कार्मिकों के दस्तावेजों का सत्यापन चल रहा हैं। बैंक खाते से संबंधित दस्तावेजों के साथ अन्य दस्तावेजों का सत्यापन ग्राम सरपंच से होना जरूरी हैं। जैसे-जैसे दस्तावेजों का सत्यापन होकर सूची तैयार हो रही हैं, बिल बनाकर उनका भुगतान हो रहा हैं।
चुन्नीलाल, अधीक्षण अभियंता, जलदाय विभाग
सरकार की मंशा ठीक नहीं: पूर्व विधायक
सरकार की मंशा ठीक नही है। सरकार ने घोषणाएं बहुत कर दी, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं है। ग्रामीण क्षेत्र के पंप चालकों को मजबूरी में काली दीवाली मनानी पड़ी। सरकार को इस मामले में अब पहल करनी चाहिए।
झाबर सिंह खर्रा, पूर्व विधायक, श्रीमाधोपुर
Published on:
06 Nov 2022 12:06 pm
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