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इस समाज को जितना मेहनताना मिलता है, उससे ज्यादा मेकअप पर कर देते हैं खर्च, जानें क्या है माजरा

शेखावाटी उत्सव में संस्कृति के कई रंग देखने को मिले। इन्हीं में एक रंग भांड कला का रहा।

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सीकर

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Sachin Mathur

Mar 24, 2025

सीकर. राजस्थान के सीकर जिले में आयोजित शेखावाटी उत्सव में संस्कृति के कई रंग देखने को मिले। इन्हीं में एक रंग भांड कला का रहा। यहां चित्तौड़गढ़ के भांड कलाकारों की तीन पीढ़ियों ने विभिन्न रूपों में एक साथ प्रस्तुती देकर दर्शकों का दिल जीत लिया। भगवानश्री कृष्ण, हनुमानजी, निषादराज, जिन्न, देवर- भोजाई सहित विभिन्न रूपों में उन्होंने शानदार प्रस्तुती दी। इस दौरान कलकार विक्रम भांड ने बताया कि उनके दादा व पिता सहित तीन पीढ़ियों ने कार्यक्रम में एक साथ प्रस्तुति दी है। इस दौरान उन्होंने अपना दर्द भी भी बयां किया। विक्रम ने बताया कि उनकी कला लुप्त होने पर भी सरकार की ओर से कोई विशेष प्रयास नहीं किए जा रहे। उन्होंने विभिन्न जिलों के 25 से 30 सरकारी कार्यक्रमों में जरूर बुलाया जा रहा है, लेकिन प्रति कलाकार 750 रुपए ही दिए जा रहे हैं। जबकि उनके मेकअप पर ही इससे ज्यादा खर्च हो जाता है। उन्होंने मांग की कि भांड कलाकारों को मिलने वाले प्रशस्ती पत्रों के आधार पर उन्हें भी सरकारी नौकरी में आरक्षण दिया जाना चाहिए।

कठपुतली कला को रख रहे जिंदा

कठपुतलियों का खेल दिखा रहे कलाकार विकास भाट ने बताया कि उनकी चार पीढियां कठपुतली नृत्य दिखाने का काम कर रही है। सिनेमा व ओटीटी प्लेटफॉर्म के क्रेज ने लोगों का इस कला के प्रति आकर्षण खत्म कर दिया है। फिर भी उन्होंने इस प्राचीन कला को सुरक्षित रखने का बीड़ा उठाते हुए कठपुतली कार्यक्रम को जारी रखा है।