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वैशाखी चौथ पर महिलाओं ने रखा उपवास, रात को 10.55 पर दिखेगा चांद

धर्म- पुण्य का वैशाख महीना शुरू हो गया है। यह 26 मई तक चलेगा। शुक्रवार यानी आज वैशाखी चौथ है। जिस पर महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना लिए उपवास पर है।

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सीकर

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Sachin Mathur

Apr 30, 2021

वैशाखी चौथ पर महिलाओं ने रखा उपवास, रात को 10.55 पर दिखेगा चांद

वैशाखी चौथ पर महिलाओं ने रखा उपवास, रात को 10.55 पर दिखेगा चांद

सीकर. धर्म- पुण्य का वैशाख महीना शुरू हो गया है। यह 26 मई तक चलेगा। शुक्रवार यानी आज वैशाखी चौथ है। जिस पर महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना लिए उपवास पर है। इसे संकष्टी चौथ और संकष्ट चतुर्थी भी कहते हैं। जिसमें दिनभर के उपवास के बाद महिलाएं रात को चंद्रमा का अध्र्य देकर चौथ माता की कहानी सुनेगी। इसके बाद भी भोजन करेगी। इसके साथ ही वैशाख मास में कई व्रत और त्योहार आएंगे। जो कोरोना संक्रमण के चलते भले ही घर पर मनाए जाएंगे, लेकिन उनके प्रति आस्था व उत्साह अब भी पहले जैसा ही है। इस माह अक्षय तृतीया, गंगा सप्तमी, वरुथिनी एकादशी, परशुराम जयंती, शंकराचार्य जयंती, गंगा सप्तमी पूजन, वैशाख पूर्णिमा आएगी।

वैशाख मास के व्रत और त्योहार

3 मई सोमवार, बूढ़ा बास्योड़ा
7 मई शुक्रवार- वरुथिनी एकादशी

14 मई शुक्रवार- परशुराम जयंती
14 मई शुक्रवार- अक्षय तृतीया

18 मई मंगलवार- गंगा सप्तमी
21 मई शुक्रवार- सीता नवमी

23 मई रविवार- मोहिनी एकादशी
26 मई बुधवार- बुद्ध पूर्णिमा,पीपल पूर्णिमा


त्रिदेव की पूजा से मिलता है पुण्य
वैशाख मास में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और मेहश की पूजा का विशेष पुण्य बताया गया है। पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि इन तीनों देवताओं को प्रसन्न करने के लिए वैशाख का मास सबसे उत्तम माना गया है। ऐसा माना जाता है कि वैशाख मास में ब्रह्मा जी, भगवान विष्णु और भगवान शिव पूजा से बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं। मान्यता है कि वैशाख मास में सिर्फ जल चढ़ाने मात्र से ही त्रिदेव प्रसन्न हो जाते हैं।


संकष्टी चतुर्थी को चंद्र दर्शन का समय
संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने वाले लोगों को इस दिन चंद्रमा का दर्शन करना होता है। इस दिन चंद्रमा का दर्शन देर रात में होता है। इस बार संकष्टी चतुर्थी पर चंद्र दर्शन रात 10 बजकर 55 मिनट के करीब पर होगा।

संकष्टी चतुर्थी पूजा

संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने वाले व्यक्ति को दोपहर में विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। पूजा के समय गणेश चालीसा और गणेश जी के मंत्रों का जाप करना चाहिए। पूजा के समापन पर गणेश जी की आरती करनी चाहिए। इस व्रत के प्रभाव से बिगड़े काम भी बन जाते हैं। गणपति की कृपा से मनोकामनाएं पूर्ण होती है।