
रेलवे ट्रैक
देवेन्द्र शर्मा शास्त्री
सीकर. उदयपुर रेलवे ट्रैक पर विस्फोट के बाद सुरक्षा एजेंसियों के साथ पुलिस तक सकते में हैं, लेकिन प्रमुख जिम्मेदार जीआरपी चुप्पी साधे बैठी है। जीआरपी के भरोसे प्रदेश में न रेल की पटरिया सुरक्षित हैं ना ही पर्यटक और पांवणे...। वजह है तीन दशक में प्रदेश में रेलवे के ट्रैक, गाडिय़ों के साथ ट्रेनों में होने वाले अपराध में तीन सौ गुना तक बढ़ोतरी। उधर, जीआरपी का ढांचा कमजोर हुआ है। स्वीकृत पदों का अनुमोदन भी तीन दशक से रेलवे बोर्ड में अटका हुआ है। विभाग के साथ मुख्यमंत्री तक की ओर से रेल मंत्री और रेलवे बोर्ड को पत्र भेजे गए, लेकिन पदों के अनुमोदन की स्वीकृति नहीं मिली। इसकी प्रमुख वजह यह है कि जीआरपी का बजट रेलवे बोर्ड और राज्य सरकार 50-50 फीसदी वहन करते हैं। जबकि राजस्थान देश का प्रमुख पर्यटक स्थल और रेल यहां आवागमन का प्रमुख साधन है।
1984 के बाद से नहीं बढ़ी जीआरपी की नफरी
वर्ष 1984 के पश्चात जीआरपी की नफरी में किसी प्रकार की वृद्धि नहीं की गई है। जबकि राजस्थान पुलिस की नफरी में 118 फीसदी की वृद्धि हुई है। इसी प्रकार रेलवे स्टेशन 367 से बढ़कर 2019 में 622, यात्री ट्रेन 295 से बढ़कर 902 तथा प्रतिदिन यात्रियों की संख्या एक लाख 78 हजार से बढ़कर 6 लाख 25 हजार हो गई है। वर्ष 1984 के आधार पर राजस्थान पुलिस की कुल स्वीकृत नफरी 46 हजार 459 से बढ़कर एक लाख 75 हजार 41 हो गई। जीआरपी की नफरी में वर्ष 1984 के बाद वृद्धि नहीं से रेल यात्रियों की सुरक्षा में दिक्कतें आ रही हैं।
रेलवे बोर्ड के कागजों में अटके हैं प्रस्तावराज्य सरकार की ओर से वर्ष 2012 में बजट घोषणा एवं भारत सरकार के सुझावों के क्रम से रेलवे थानों की नफरी के मापदंड निर्धारित करने के संबंध में जीआरपी राजस्थान के लिए पुलिस निरीक्षक-दो, उप निरीक्षक-तीन, सहायक उप निरीक्षक-70, हैडकांस्टेबल-तीन एवं कांस्टेबल-59 कुल 127 नवीन पदों की स्वीकृति के प्रस्ताव रेलवे बोर्ड को भिजवाए गए थे। जीआरपी अजमेर एवं जोधपुर के लिए 20 पद स्वीकृत थे मगर किसी का अनुमोदन आज तक नहीं हुआ है।
यह है जीआरपी की स्थिति
प्रदेश में दो जीआरपी जिले, छह सर्किल, 25 पुलिस स्टेशन और 36 पुलिस चौकियां है। प्रदेश में 1960 से अब तक रेल गाडिय़ों की संख्या में दस गुना बढ़ोतरी हो गई। रेल यात्रियों की संख्या में भी अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। जीआरपी के थानें में दर्ज अपराधों के पंजीकरण में 271 गुना से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है, मगर नफरी के अभाव में जीआरपी अपराधियों तक नहीं पहुंच पाती है।
पोक्सों के मामलों की कैसे हो जांचप्रदेश में पोक्सो एक्ट, महिलाओं पर अत्याचार के खिलाफ अधिनियम, एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग अधिनियम आदि लागू किए गए हैं। इन कानूनों के तहत घटित अपराधों की जांच एक निश्चित रैंक के अधिकारी की ओर से तय समय सीमा में पूरी की जानी होती है। जीआरपी में अनुसंधान अधिकारियों के पर्याप्त पदों के अभाव में ऐसे कानूनों का सफल क्रियान्वयन संभव नहीं है।
मजबूत हो जीआरपी ढांचा
सभी तरह के प्रयासों के बावजूद जीआरपी का ढांचा मजबूत नहीं हो पाया है। स्वीकृत पदों का भी रेलवे बोर्ड से अनुमोदन नहीं हो पाया है। बढ़ते अपराध को रोकने के लिए जीआरपी के ढांचे को मजबूत करना होगा। तभी यहां आने वाले पर्यटक और यात्री पूरी तरह सुरक्षित रह सकेंगे।- आलोक वशिष्ठ, महानिरीक्षक, रेलवे राजस्थान
Published on:
19 Nov 2022 11:16 pm
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