
yunus khan
सीकर. अपने पिता का मृत्युभोज करना राजस्थान सरकार के परिवहन मंत्री युनूस खां को भारी पड़ गया है। मृत्युभोज के 12 साल बाद आए न्यायालय के फैसले ने एक बार फिर से मंत्री खां की मुश्किलें बढ़ा दी है।
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय नीरज भारद्वाज ने मृत्युभोज के मामले में निगरानी याचिका पर परिवहन मंत्री युनूस खां के खिलाफ प्रसंज्ञान यथावत रखा है। न्यायालय ने इस मामले में अन्य आरोपितों को बरी कर दिया है। मामला वर्ष 2005 का है।
प्रकरण के अनुसार राजस्थान सरकार के परिवहन मंत्री युनूस खां के पिता हाजी ताजू खां का निधन होने पर गनेड़ी गांव में मृत्युभोज का आयोजन किया गया था। इस मामले में पीयूसीएल संस्था के कैलाश मीणा की ओर से लक्ष्मणगढ़ के न्यायालय में राजस्थान मृत्युभोज निवारण अधिनियम के तहत परिवाद पेश किया गया। वर्ष 2008 में 17 अक्टूबर को न्यायिक मजिस्ट्रेट ने युनूस खां समेत दस जनों के खिलाफ प्रसंज्ञान ले लिया।
इस पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के यहां इस मामले में निगरानी याचिका पेश की गई। परिवादी के अधिवक्ता अनुराग नारायण माथुर ने बताया कि इस मामले में न्यायालय ने युनूस खां के खिलाफ प्रसंज्ञान आदेश यथावत रखा है। जबकि वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष शौकत अंसारी, पूर्व विधायक भंवरलाल राजपूरोहित, तत्कालीन नागौर कलक्टर आलोक गुप्ता, तत्कालीन सीकर कलक्टर रामरख, तत्कालीन सीकर पुलिस अधीक्षक लक्ष्मीनारायण मीणा, तत्कालीन सीकर एएसपी सरवर खां समेत आठ लोगों के खिलाफ प्रसंज्ञान आदेश खारिज कर दिया।
सीएम भी हुई थी शामिल
युनूस खां के पिता के मृत्यूभोज के कार्यक्रम में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी शामिल हुई थी। पीयूसीएल की ओर से पेश किए गए परिवाद में सीएम पर भी आरोप लगाया गया था, लेकिन वर्ष 2008 में अधिनस्थ न्यायालय ने सीएम को दोषी नहीं माना। उस दौरान न्यायालय ने अन्य दस आरोपितों के खिलाफ प्रसंज्ञान लिया था।
क्या हुआ था उस समय
उस वक्त युनूस खां के पिता का मृत्युभोज पूरे राजस्थान में चर्चा का विषय रहा था। इसमें अखबारों में विज्ञापन देकर मृत्युभोज को प्रचारित किया था। युनूस खां मूलरूप से सीकर जिले के गांव गनेड़ी के रहने वाले हैं।
Updated on:
23 Sept 2017 12:14 pm
Published on:
23 Sept 2017 11:36 am
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