
परेशानी की पुस्तक वितरण व्यवस्था
सीकर. पाठ्य पुस्तक मंडल से स्कूलों तक पुस्तक पहुंचाने की व्यवस्था में नोडल स्तर पर परिवर्तन कर शिक्षकों की समस्या बढ़ा दी गई है। इससे पहले शिक्षकों का कार्य केवल मंडल कार्यालय तक पुस्तकों की डिमांड भेजना था। अब नई व्यवस्था के तहत पीईईओ स्तर के शिक्षकों को पाठ्य पुस्तक मंडल कार्यालय बुलाया जा रहा है।
ऐसे में ग्रीष्म कालीन छुट्टियां होने के बावजूद बिना किसी कारण के सैकड़ों शिक्षक परेशान हो रहे हैं। शिक्षकों का आरोप है कि मंडल कार्यालय पर पुस्तक छांटने, पैकिंग करने तथा मंडल कार्यालय से स्कूलों तक पुस्तक वितरण करने वाले वाहनों के साथ केवल वाहन चालक होने तथा लाइब्रेरियन नहीं होने के चलते पुस्तक अनलॉर्डिंग का काम भी शिक्षक ही कर रहे हैं। इस व्यवस्था से शिक्षकों में काफी आक्रोश हैं।
सालभर चलता है पुस्तक वितरण कार्य
पाठ्यपुस्तक मंडल की ओर से पुस्तकों की डिमांड के अनुसार हर साल समय पर पुस्तकें वितरित नहीं होने से विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित हो रही है। वर्ष पर्यंत पुस्तक वितरण का दौर चलता रहता हैं। लेकिन पाठ्य पुस्तक मंडल के अधिकारियों के पास पुस्तकों के देरी से वितरण होने के संबंध में कोई संतोषपूर्ण जवाब नहीं हैं। इस देरी का कारण पुस्तक छापने वाली कंपनी है। लेकिन कंपनी को टेंडर देने के बाद इन पर पाठ्य पुस्तक मंडल का कोई दबाव नजर नहीं आता हैं। यही कारण है कि बिना किसी दबाव के कंपनी अपनी मनमर्जी से वर्ष पर्यंत पुस्तक छापने कार्य करती हैं। इससे स्कूलों में पुस्तकें वितरित होने में समय लगता है।
देरी का कारण लंबी प्रक्रिया
पाठ्य पुस्तक मंडल की ओर से पुस्तक वितरण में देरी का कारण लंबी प्रक्रिया है। जिले की स्कूलों से मंडल को देरी से डिमांड प्राप्त होती है। जिले की स्कूलों से प्राप्त डिमांड संख्या को एकत्रित कर मुख्यालय भेजने में भी समय लगता हैं। प्रिंटिंग प्रेस में डिमांड भेजने के बाद निर्धारित समय अवधि में पुस्तकों की छपाई होती हैं। छपाई होकर पाठ्य पुस्तक मंडल पहुंचने के बाद समसा कार्यालय की ओर से जिले के नौ ब्लॉकों के रूट तय होते हैं। निर्धारित रूट पर पुस्तकें वितरण करने के लिए वाहनों का टेंडर भी मंडल की ओर से किया जाता है।
सुबिता चौधरी, प्रभारी, पाठ्य पुस्तक मंडल, सीकर
Published on:
11 Jun 2022 05:19 pm
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