24 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

गांव के लड़के ने DRDO में वैज्ञानिक बनकर बना डाले 2 हाईटेक हथियार, पिता इसे बनाना चाहते थे हलवाई

DRDO में ये कमाल कर दिखाने वाला अशोक शर्मा राजस्थान के झुंझुनूं जिले के अजाड़ी कलां गांव का रहने वाला है।

3 min read
Google source verification
Scientists in DRDO

गांव के लड़के ने DRDO में वैज्ञानिक बनकर बना डाले 2 हाईटेक हथियार

रोलसाहबसर (सीकर). दिल में कुछ करने का जज्बा हो तो विपरित परिस्थितियां भी इंसान को नहीं रोक सकती। जिस छात्र को उसके पिता छोटी सी उम्र में हलवाई बनाना चाहते थे वह आज डीआरडीओ में (रक्षा अनुसंधान व एवं विकास संगठन ) में वैज्ञानिक (साइंटिस्ट एच) बन गया है। इतना ही नहीं उसने भारतीय सेना के लिए करण का तीर और मृत्युकार जैसे दो अत्याधुनिक हथियार भी इजाद कर दिए हैं।

फाइटर प्लेन से दुश्मनों पर बम बरसाएगी गांव की ये लडक़ी, बेहद रोचक है इसकी कामयाबी की स्टोरी

यह कमाल कर दिखाया है राजस्थान के सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ इलाके के रिणू गांव में अपने ननिहाल में रहकर पढ़ाई करने वाले अशोक शर्मा ने। अशोक झुंझुनूं के अजाड़ी कलां गांव का रहने वाला है लेकिन पारिवारिक परिस्थितियों की वजह से उसने ननिहाल में ही पढ़ाई की है।

भारतीय वायुसेना में लड़ाकू विमान उड़ाएगी प्रतिभा पूनिया, महिला फाइटर पायलट बनने वाली राजस्थान की है ये दूसरी बेटी

अशोक के पिता गोपीचंद हलवाई का काम करते हैं, और वे चाहते थे कि उनका बेटा भी पढ़ाई के साथ-साथ हलवाई का काम सीखे और जल्द ही इस काम में पारंगत हो जाए, लेकिन अशोक ये काम नहीं करना चाहता था। उसके सपने कुछ बड़े थे।

प्रोजेक्ट है जारी
कश्मीर में होने वाली आंतकी घटनाओं को लेकर भी अशोक ने एक बड़ा प्रोजेक्ट शुरू किया है। अशोक बताते हैं कि इन घटनाओं को लेकर उनके मन में विचार आया कि क्यों ना एक ऐसी गाड़ी बनाई जाए जो कंप्यूटर से चले और जिधर भी आतंकी नजर आए उसे गोली से निशाना बनाए। इस गाड़ी से जरूरत पडऩे पर बम विस्फोट भी किया जा सके।

LOVE JIHAD : पति को छोड़कर दो युवकों के झांसे में आई युवती का हुआ ये हाल, बीमारी का बहाना कर निकली चंगुल से

ये सब काम गाड़ी ही करेगी तो इससे सैनिकों को काफी सुरक्षा प्रदान होगी। उसके दिमाग की उपज इस गाड़ी को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने मृत्युगाड़ी नाम दिया है। मृत्यु गाड़ी के आठ चरण पूरे हो चुके हैं। अभी इसके तीन चरण और पूरे होने हैं। इन्हें पूरा करने के लिए टीम इजराइल जा रही है।

साइंटिस्ट एच पद पर चयन
अशोक का डीआरडीओ की इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक विंग में साइंटिस्ट एच के पद पर चयन हुआ है। इस पद पर उम्मीदवार का आईक्यू और एज के आधार पर चयन होता है। अशोक का चयन इन सबके साथ उसके द्वारा बनाए गए प्रोजेक्ट्स के आधार पर किया गया है।


रोज जवानों के शहीद होने की खबर सुन पैदा हुआ जज्बा
अशोक शर्मा 16 दिसम्बर को महज 21 साल का हुआ है । आए दिन देश सीमा पर होने वाले शहीदों की खबरें सुनकर उसके मन में सेना के लिए कुछ करने का जज्बा पैदा हुआ।


ऐसे काम करेगा तीर
डीआरडीओ में उसका पहला प्रोजेक्ट करण का तीर था। जिससे दुश्मन को आसानी से निशाना बनाकर चलाया सके। तीर सामने टकराते ही विस्फ ोट कर देता है। इसके लिए अशोक ने तीर के बीच में एक बॉक्स बनाकर उसमें डायनामाइट व एक बैटरी फि ट की है। तीर जैसे ही सामने टकराएगा बैटरी के प्लस व माइनस मिलेंगे और डायनामाइट तेज धमाके के साथ विस्फोट करेगा।

डीआरडीओं को भेजे दो प्रोजेक्ट
साधारण परिवार का अशोक सीमा पर रोज शहीद होने वाले भारतीय सैनिकों के लिए कुछ करना चाहता था। वो अपने ननिहाल रिणू में स्कूल से आने के बाद कम्प्यूटर पर ऐसे हथियार बनाने का प्रयास करने लगा जिससे दुश्मन को दूर से मारा जा सके। इसी सोच के साथ उसने दो प्रोजेक्ट बनाकर डीआरडीओ एवं रक्षा मंत्रालय के पास भेजे। रक्षा मंत्रालय एवं डीआरडीओ को प्रोजेक्ट पंसद आए।

VIDEO : वर्ष 2018 में देखने को मिलेगा मंदसौर किसान आंदोलन का पार्ट-2 व सीकर किसान आंदोलन रिटनर्स, महिलाओं को ये जिम्मेदारी

वहां तीन चरणों में अशोक का इंटरव्यू लेकर उसे डीआरडीओ में वैज्ञानिक (एच) बना दिया गया। अशोक व उसकी टीम को रक्षा अनुसंधान एवं संगठन की ओर से अगले माह इजरायल भेजा जा रहा है। 12 वीं पास अशोक को फिलहाल डीआरडीओ की ओर से हर महीने 60 हजार रुपए का वेतन भी दिया जाने लगा है। अशोक को पिछले साल डीआरडीओ लैब में बेस्ट साइंटिस्ट का डॉ. रमन पुरस्कार भी गृह मंत्रालय की ओर से दिया गया।