
बढ़ा नामांकन, खाली पद बने चुनौती, कैसे मिले बेहतर शिक्षा
चुनाव नजदीक आते ही सरकार ने सरकारी स्कूलों के साथ सियासी खेल शुरू कर दिया हैं। चुनाव के नजदीक शिक्षकों की नई भर्ती और पदोन्नति का पिटारा खोलना चाहती हैं। इससे सरकार को तो फायदा मिलेगा, लेकिन 8 दिसंबर से शुरू हो रही अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं में स्कूली विद्यार्थियों को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने साल में दो बार डीपीसी करने का केबिनेट में फैसला किया। लेकिन शिक्षा विभाग में पिछले दो साल से डीपीसी नहीं होने के कारण प्रदेश की 64781 स्कूलों में 27 प्रतिशत शिक्षकों के पद रिक्त हैं। रिक्त पदों को भरने के लिए विद्या संबल योजना में आवेदन लिए गए। लाखों बेरोजगारों ने आवेदन भी कर दिए थे। लेकिन उस पर रोक लगाकर बच्चों और बेरोजगारों के हितों पर ग्रहण लगा दिया गया।
इन आंकड़ों से समझें रिक्त पदों की स्थिति
शिक्षा विभाग में 497515 शिक्षकों के स्वीकृत पदों में से 132252 पद रिक्त हैं। 485013 वित्तिय स्वीकृति के सृजित पदों में से भी 119750 पद रिक्त हैं। वर्तमान सत्र में 3334 सैंकडरी स्कूलों को उच्च माध्यमिक स्कूलों में क्रमोन्नत किया गया। 500 सैकंडरी स्कूलों को पिछले सत्र में क्रमोन्नत किया गया था। 100 स्कूलों में अतिरिक्त संकाय खोले गए। इनमें 11302 व्याख्याता के पद तो सृजित कर दिए गए। लेकिन इन पदों की वित्तिय स्वीकृति जारी नहीं की गई।
वरिष्ठ अध्यापक पदों पर नहीं मिली वित्तीय स्वीकृति
जानकारी के अनुसार इस साल भी 959 बालिका मीडिल स्कूलों को सीधे सीनियर सैंकडरी में क्रमोन्नत किया गया है। जिसमे माध्यमिक कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। सभी में वरिष्ठ अध्यापक के पदों की वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी गई हैं। लेकिन पिछले सत्र में क्रमोन्नत 200 सैकंडरी स्कूलों में 1200 वरिष्ठ अध्यापक के पदों की वित्तीय स्वीकृति जारी नहीं की गई है। बड़ी संख्या में पद रिक्त होने के कारण बच्चों का अध्ययन प्रभावित हो रहा है।
स्वीकृत पदों में से प्रतिनियुक्ति पर लगे सैकड़ों व्याख्याता
स्वीकृत पदों में से सैकड़ों व्याख्याता समसा, सीबीईओ कार्यालय तथा निदेशालय में प्रतिनियुक्ति पर लगे हैं। प्रधानाचार्य स्तर के अधिकारी भी निदेशालय और समसा में बड़ी संख्या में प्रतिनियुक्ति पर हैं। पिछले कई दिनों से व्याख्याता, वरिष्ठ अध्यापक एवं थर्ड ग्रेड शिक्षकों की भर्ती लंबित है। इस सत्र में नए शिक्षक मिलने की उम्मीद कम ही नजर आ रही हैं। विभाग में न तो नई भर्ती से और न ही पदोन्नति से शिक्षक आ रहे हैं। इसका सीधा नुकसान बच्चों को हो रहा हैं।
एक्सपर्ट व्यू: नई भर्ती व डीपीसी प्रक्रिया जल्द शुरू होने से राहत
कोरोनाकाल के दो साल की पढ़ाई को कवर करने के लिए सरकार को अतिरिक्त व्यवस्था कर बच्चों के शिक्षण को प्रभावी बनाना चाहिए था। लेकिन 27 प्रतिशत शिक्षकों के रिक्त पद कोढ़ में खाज का काम कर रहे हैं। सरकार को जल्द रिक्त पद भरने के लिए नई भर्ती और डीपीसी की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। इससे विद्यार्थियों को काफी फायदा मिलेगा।
उपेंद्र शर्मा, प्रदेश महामंत्री, राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत
Published on:
07 Dec 2022 08:52 pm
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