
वेस्ट मैनेजमेंट इश्यू: कचरा स्टेशन तय नहीं कर पाई शहरी सरकार VIDEO
सीकर.
Waste Management Issue: शहर में कचरा निस्तारण का दावा फेल दिखाई दे रहा है। घरों से कचरा नहीं उठाए जाने को लेकर आमजन परेशान हो रहे है। हालात यह हो गए है कि लोगों के घरों तक गाडियां नहीं पहुंच रही है। शहर में जगह-जगह पर कचरे के ढ़ेर लगने शुरू हो गए है। लोग मजबूरन होकर चौक व सर्किलों के पास रखे डस्टबिन में कचरा डाल रहे हैं। नगरपरिषद के पास कचरा उठाने के लिए नियमित गाडिय़ा ही उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
शहर के कचरे को नानी में लेकर जाते है। वहां पर सही निस्तारण नहीं हो पा रहा है। लोगों ने शहरी सरकार पर भरोसा जताकर दोबारा से चुना। राज्य सरकार ने कचरा मुक्त व स्वच्छ शहर बनाने के लिए घर-घर से कचरा संग्रहरण करने की योजना बनाई थी। साथ ही डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण में सोमवार से शनिवार तक छह दिन गीला कचरा एवं एक दिन सूखा कचरा संग्रहित करने की योजना बनाई गई। शहरी आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने सीकर के इस मॉडल को पसंद किया। कचरे को सीधे कंपोस्ट करने की योजना बनाई गई। सीकर के मॉडल को पूरे देश में लागू करने की योजना बनाई गई।
खाद बनी न प्लांट शुरू
नानी में परिषद ने गड्डे खोद कर कचरे से खाद बनाने के लिए प्लांट शुरू किया। परिषद ने बिना संसाधानों के ही प्लांट से खाद बनाना शुरू कर दिया। स्थिति यह हो गई कि अभी तक खाद तैयार नहीं हो सकी। खाद को शहर के पार्कों में डालने की योजना बनाई गई। हकीकत में किसी भी पार्क में खाद नही पहुंच सकी। परिषद ने शहर में तीन स्थानों पर कंपोस्टिंग मशीन लगाने की योजना बनाई थी। इनमें से एक मशीन नवलगढ़ रोड पुलिया से आगे जीएसएस के पास परिषद की खाली पड़ी जमीन पर लगाने की योजना रही। इसके लिए परिषद ने 22 लाख रुपए की लागत से मशीन खरीदी।
जगह-जगह लगे ढेर
कचरा निस्तारण सही तरीके से नहीं होने से शहर में जगह-जगह ढेर लग रहे है। आमजन भी परेशान हैं। लोगों का कहना है कि कचरा गाड़ी वाले कचरे को ले जाने से मना कर देते हैं। कुछ लोगों ने टैग लगवाया है, केवल उन्हीं का ही कचरा लेकर जाते हैं। ऐसे में लोग डस्टबिन में कचरा डालते है। इसी कारण सर्किलों पर कचरे के ढेर लग रहे हैं। कचरों के ढेर में आवारा पशु मंडराने लगे है। आवारा पशुओं के कारण वाहन चालक चोटिल हो रहे है।
कचरे से बिजली बनाने का वादा फेल
शहर में कचरे से बिजली बनाने का दावा फेल हो गया। 2011 में उद्योग एवं आबकारी मंत्री रहे राजेंद्र पारीक ने कचरे से बिजली बनाने वादा किया था। संयंत्र लगाने के लिए नानी गांव में शिलान्यास किया। बीओटी आधार पर स्थापित होने वाले संयंत्र के लिए लगभग 13 करोड़ रुपए की योजना बनाई गई। मुंबई की रोचेम सेपरेशन सिस्टम्स इंडिया प्रा.लि. को जिम्मेदारी दी गई। संयंत्र के लिए शहर का 100 टन कचरा प्रतिदिन निस्तारण करने की बात कहीं गई। इसमें एक मेगावाट प्रति घंटे के हिसाब से सालभर में सात हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन होना था। कंपनी को सात एकड़ अविकसित भूमि 30 वर्ष की लीज पर आवंटित करने की बनाई गई थी। यह योजना भी ठंडे बस्ते में नजर आ रही है।
Published on:
11 Jan 2020 05:01 pm
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