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Video: नीमकाथाना जिले से गुजरती विश्व की प्राचीन अरावली पर्वतमाला

अवैध खनन से अरावली को बचाना जरूरी पर्वतमाला करती है जलवायु को प्रभावित अत्यधिक खनन व दोहन से नुकसान

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सीकर

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Mukesh Kumawat

Apr 17, 2023

Video: नीमकाथाना जिले से गुजरती विश्व की प्राचीन अरावली पर्वतमाला

Video: नीमकाथाना जिले से गुजरती विश्व की प्राचीन अरावली पर्वतमाला

सुनील कुमार रोहिला

सीकर. टोडा नीमकाथाना अब नया जिला बन चुका है। गजट नोटिफिकेशन के बाद नीमकाथाना जिला अपने अस्तित्व में आ जाएगा। सीकर जिला से अलग होने के बाद नीमकाथाना जिला के हिस्सा में खनिज संपदा का भंडार है। इसके साथ ही प्राचीनतम अरावली पर्वतमाला भी इस जिले से गुजर रही है। नया जिला प्राकृतिक सौंदर्य और वन्य संपदा से भरपूर है। अरावली की पहाड़ियों से जलवायु भी प्रभावित होती है। भूगोल विशेषज्ञ लक्ष्मीनारायण कुमावत ने बताया कि अरावली की पहाड़ियां राजस्थान के मानसून को भी प्रभावित करती है। बंगाल की खाड़ी से आने वाला मानसून अरावली की पहाड़ियों से टकराकर पूर्वी राजस्थान में बरसात करता है। अरब सागर के मानसून की हवाएं दक्षिण में अरावली की पहाड़ियों से टकराकर माउंट आबू व सिरोही में बारिश करता है। इसके बाद यहीं हवाएं अरावली के समांतर बहती है जो हिमालय की पहाड़ियों से टकराती है। वहीं गर्मी के दिनों में पश्चिम से आने वाली हवाएं जिन्हें लू कहा जाता है। अरावली की पहाडिय़ां से लू टकराती है। जिससे लू का प्रभाव कम हो जाता है।

अरावली की पहाड़ियों से अत्यधिक दोहन व अवैध खनन किया गया तो आने वाले दिनों में लोगों पर काफी प्रभाव पड़ेगा। गर्मी के दिनों में पश्चिम से आने लू व सर्दी के दिनों में शीतलहर का अधिक असर होगा। यदि इन पहाडिय़ों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा तो मानसून के दौरान बारिश भी नहीं होगी। गर्मी में अधिक गर्मी व सर्दी में ठंड पड़ने लगेगी। अवैध खनन व वनों की कटाई से जलवायु में अंतर आने लगेगा। अरावाली पर्वत भूजल को भी बहुत प्रभावित करते हैं। अभेद्य ग्रेनाइटग्नीस और क्वार्टजाइट चट्टानों में छोटी दरारें और फ्रै क्चर होते हैं और शीर्ष पर कुछ झरझरा बलुआ पत्थर और संगमरमर पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इसलिए अवैध खनन व वन समेत अन्य संसाधनों को समय रहते बचाना होगा।

हरिपुरा स्थित राउमावि के प्रधानाचार्य और भूगोल विशेषज्ञ लक्ष्मीनारायण कुमावत ने बताया कि पर्वतमाला का उद्भव एवं उत्पति भूगर्भिक इतिहास के प्राचीन कल्प से हुआ है। यह गौंडवाना लैंड का अवशेष है। नीमकाथाना जिला भी स्वयं में अरावली पर्वतमाला को जीवंत करता है। खासतौर पर बारिश में यह वादियां नीलगिरी, मसूरी या अन्य पर्वतमालाओं से कम नहीं दिखती है। गणेश्वर की पहाड़ी से गर्म पानी का निकलना भी एक गूढ़ रहस्य बना हुआ है। नया घोषित जिला नीमकाथाना में अरावली की शाखा को तोरावटी की पहाड़ियों के नाम से जानी जाती है। यहां तांबा, लौह अयस्क, लाइमस्टोन, चेजा पत्थर आदि अनेक प्रकार के खनिज हैं। प्रदेश में कुल खनिजों में से 90 प्रतिशत इसी शृंखला और आसपास में हैं। इस कारण अवैध खनन होता है। प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन से खनिज व वन संपदा नष्ट ना हो इसका ध्यान रखना होगा।


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