
Special News: असफलता से डरें नहीं, मेहनत के दम पर हर क्षेत्र में मिलेगी सफलता
खंडेला. संघ लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित सिविल सेवा परीक्षा के फाइनल परिणाम में खंडेला कस्बे के धीरजगढ़ निवासी पंकज वर्मा चयनित हुए। पत्रिका से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि मेहनत के दम पर किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल की जा सकती है। उनका कहना है कि असफलता से कभी डरें नहीं। टॉपिक के हिसाब से आसानी से घर पर तैयारी करके भी सफलता का परचम लहराया जा सकता है।
आपने प्राथमिक शिक्षा व उच्च शिक्षा कहां से प्राप्त की।
मेरी प्राथमिक शिक्षा कस्बे की सरकारी स्कूल से हुई है। सैकण्डरी मैंने रावत स्कूल से और 12वीं मैंने इंदिरा स्कूल से उतीर्ण की। इसके बाद ग्रेजुएशन मैंने आईआईटी रोपड़ पंजाब से की।
आपने पहले ही प्रयास में सफलता प्राप्त कर ली, आपकी सफलता का रोडमैप क्या रहा।
ग्रेजुएशन पूरी होने के बाद मैं घर पर आ गया था। यहां मैंने नियमित 8 से 9 घंटे तक अध्ययन किया। घर पर रहकर सेल्फ स्टडी बेहतर होने की वजह से कोङ्क्षचग आदि ज्वाइन नहीं की।
सोशल मीडिया से कितने समय तक दूरी बनाए रखी।
मैं सोशल मीडिया से पूरी तरह से आइसोलेट रहा। सोशल मीडिया से मैंने 3 वर्ष तक दूरी बनाई रखी। 3 वर्ष तक मैने सोशल मीडिया के बारे में सोचना तक बंद कर रखा था।
आप युवाओं को अपनी सफलता को लेकर क्या कहना चाहेंगे उन्हें भी ऐसी सफलता हासिल करने के लिए क्या करना चाहिए।
मैं अपने युवा साथियों को कहना चाहूंगा कि उनके मन में जो असफलता का डर है उसे पूरी तरह मन से निकाल देना चाहिए। उसके लिए चाहिए आपको चाहिए अनुशासन, आत्मविश्वास और धैर्य इन चीजों को अपने पास रखिए और अपने दिल में माता-पिता और अपने गुरुजनों के लिए हमेशा श्रद्धेय भावना रखनी चाहिए। यह चीजें अगर अपने जीवन में रखेंगे तो मुझे लगता है कि आईएएस का ही क्या जीवन का कोई भी बड़ी समस्या हो उसका उससे पार पाया जा सकता है।
इंटरव्यू में ऐसा कोई खास पसंद जो आपसे पूछा गया हो और आपको भी खास लगा हो।
हां एक केश स्टडी जैसा प्रश्न मुझसे पूछा गया था कि आप किसी जिले के कलक्टर हो और आपके पास एक महिला आती है जिसके पास से 6-7 महीने का एक बच्चा है। वह महिला चाहती है कि उसके बच्चे के दिमाग में कंप्यूटर चिप डलवाना चाहती है ताकि उसका आईक्यू बढ़ जाए और आईआईटी आईएएस जैसी हमारे देश की बड़ी डिफिकल्ट एग्जाम आसानी से पास कर ले। उन्होंने पूछा कि आपकी सेंस में उस महिला को अलाऊ करेंगे कि नहीं। इस पर मैने कहा कि सर यह बिल्कुल नैतिक नही होगा। यह छोटा बच्चा ये बोल नही सकता इसका मतलब ये नही है कि वो कोई वस्तु है जिस पर अपना प्रयोग करे फिर मैंने कहा कि सर मै इसे बिल्कुल भी अलाऊ नही करूंगा। ये मेरा उत्तर था। फिर मैने कहा कि मैं उसकी माता को कहूंगा कि वो अपने बच्चे को भावात्मक रूप से ओर अनुशासन के जरिए उसे इतना योग्य बनए की वह अपनी जो भी कठिनाई है और जो भी वो उसे बनाना चाहती है वो मेहनत से ही प्राप्त करे न कि किसी साधन या तकनीक को काम मे लेकर।
आईएएस बनने का क्या आपका बचपन से ही सपना था।
आईएएस बनने का सपना मेरे पिताजी का ही था। जब उन्होंने ग्रेजुएशन की तो उन्होंने पहला फार्म आईएएस का ही भरा था हालांकि संसाधनों के अभाव से वो इसे आगे नही बढ़ा पाए। वो हमेशा मुझे यह बातें बताते रहते थे और हमेशा मुझे आईएएस के पद के लिए प्रेरित करते रहते थे की यह आईएएस का पद बड़ा ही प्रतिष्ठावान गरिमापूर्ण होता है। इसलिए आईएएस बनने का सपना धीरे-धीरे बचपन से ही मेरे मन में बनता जा रहा था और मैंने इसे पूरा कर लिया।
अपनी इस सफलता का श्रेय आप किसे देना चाहते है।
इस सफलता का श्रये मैं दादीजी सोनी देवी, पिता पीटीआई रामङ्क्षसह वर्मा व अपनी माताजी संतोष देवी सहित अपने सभी गुरुजनों को देता हूं।
Published on:
02 Jun 2023 10:40 pm
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