
Conducting public hearing for Gond project in Singrauli of MP
सिंगरौली. सिंगरौली के साथ सीधी जिले में कुसमी तहसील के लिए प्रस्तावित गोंड सिंचाई परियोजना की पर्यावरण मंजूरी से पहले की प्रक्रिया जारी है। इसके तहत जल संसाधन विभाग सिंगरौली की ओर से प्रक्रिया के तहत कुसमी तहसील के गांव अमरा डांडी में रविवार को जनसुनवाई के लिए शिविर लगाया गया।
योजना को पर्यावरण मंजूरी से पहले ग्रामीणों की जन सुनवाई के लिए लगाए गए शिविर में 30 जनोंं ने जल संसाधन विभाग सिंगरौली व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड रीवा के अधिकारियों के समक्ष अपनी आपत्ति प्रस्तुत की, लेकिन इन सबमेंं केवल मुआवजा व विस्थापन को लेकर ही आशंका जताई गई। हालांकि यह शिविर परियोजना के अस्तित्व मेंंं आने से पर्यावरण पर होने वाले प्रभाव को लेकर थी। इसका भू अर्जन व मुआवजे आदि से कोई मेल नहीं था। इससे पहले ऐसा ही जन सुनवाई शिविर १९ दिसंबर को सिंगरौली जिले की सरई तहसील के गांव जालपानी में लगाया गया था।
गांव अमरा डांडी में गोंड परियोजना की पर्यावरण मंजूरी से पहले ग्रामीणों का पक्ष जानने के लिए आयोजित जन सुनवाई शिविर में अमरा डांडी सहित क्योंटी व कुरचा गांवों के ग्रामीण करीब दो सौ की संख्या में जुटे और उनमें से अधिकतर ने मौखिक तौर पर केवल भू अर्जन के बाद मिलने वाले मुआवजे और भत्ता आदि को लेकर जानकारी चाही। इस पर जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री राम अवतार सिंह व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड रीवा के प्रतिनिधि अशोक तिवारी ने ग्रामीणों को गोंड परियोजना के आधारभूत तथ्यों व इससे कुसमी तहसील के ९२ सौ हेक्टेयर रकबे को सिंचाई सुविधा का लाभ मिलने की जानकारी दी। सिंचाई सुविधा मिलने से इन गांवों में खुशहाली का नया दौर शुरू होगा।
जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री राम अवतार सिंह ने ग्रामीणों को बताया कि परियोजना के तहत गोपद नदी में बांध बनाए जाने से गांव अमरा डांडी, क्योंटी व कुरचा के मात्र 40 घर डूब क्षेत्र से प्रभावित होंगे। इसी प्रकार कुसमी तहसील के इन गांवों के किसानों की केवल 34 हेक्टेयर निजी भूमि डूब क्षेत्र में आएगी। इसके मुकाबले तहसील के 92 सौ हेक्टेयर रकबे को सिंचाई सुविधा का लाभ मिलेगा। इसलिए उन्होंने ग्रामीणों से इस परियोजना के लिए खुले दिल से सहयोग करने का आग्रह किया। जनसुनवाई में बताया गया कि परियोजना के तहत बांध बनने से सीधी जिले की लगभग १५० हेक्टेयर वन भूमि व लगभग सौ हेक्टेयर शासकीय भूमि डूब क्षेत्र में आएगी। इसके लिए वन व राजस्व विभाग दोनों से जल संसाधन विभाग को सहमति मिल गई है।
कार्यपालन यंत्री सिंह ने बताया कि जन सुनवाई में आई आपत्तियों का निस्तारण कर पर्यावरण मंत्रालय दिल्ली को रिपोर्ट भेजी जाएगी और इसके बाद वहां से परियोजना को पर्यावरण संबंधी मंजूरी जारी की जाएगी। टेंडर प्रक्रिया शुरू होने के बाद इस योजना के तहत बांध निर्माण सहित नहर व बांध के पास लघु बिजली घर तथा आवासीय कालोनी का निर्माण कार्य चार वर्ष मेंं पूरा होगा। बांध के पास ही बड़ा जल संग्रह टैंक भी बनाया जाएगा। इससे ही नहर निकालकर खेतों तक पानी पहुंचाया जाएगा।
इसके साथ ही सिंगरौली जिले की २९ हजार से अधिक व सीधी जिले की 92 सौ हेक्टेयर बंजर भूमि को सिंचाई सुविधा मिलने लगेगी। जल संसाधन विभाग व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड प्रतिनिधियों ने ग्रामीणों की आपत्तियों को पढक़र सुनाया व उनका जवाब दिया। इसमें सीधी के एडीएम डीपी बर्मन सहित कुसमी तहसील के एसडीएम व अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। उल्लेखनीय है कि परियोजना की पर्यावरण मंजूरी से पहले डूब से प्रभावित गांवों में जन सुनवाई का यह दूसरा शिविर लगाया गया।
11 सौ करोड़ होगी लागत
सिंगरौली व सीधी दोनों जिलों के विशाल गोंड सिंचाई परियोजना के तहत गोपद नदी में बांध व अन्य निर्माण पर 11 करोड़ रुपए से अधिक लागत आएगी। इसके लिए बांध के निकट सरई तहसील के गांव जालपानी में 100.34 मिलियन क्यूबिक मीटर क्षमता वाला जलाशय बनाया जाएगा। केन्द्र सरकार सहित केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इस परियोजना संबंधी अधिसूचना 14 सितंबर 2006 को जारी की। इसके साथ ही गोपद नदी के जल से सिंचाई को मंजूरी दी गई। लेकिन अब जाकर इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर असल में कार्रवाई शुरू हुई है। इसके तहत सिंगरौली व सीधी जिलों में शासकीय व वन विभाग की भूमि के उपयोग की जल संसाधन विभाग को मंजूरी मिल गई। अब बांध के डूब क्षेत्र में आने वाली निजी भूमि के अधिग्रहण तथा योजना को पर्यावरण मंजूरी के बाद की कार्रवाई साथ-साथ चलेगी।
Published on:
23 Dec 2018 11:31 pm
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