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सडक़ पर मवेशीराज, शहरी क्षेत्र के दोनों कांजी हाउस खाली

जिम्मेदारी लेने को नहीं कोई तैयार....

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Kanji House in Singrauli is empty, cattle are crowded on the road

Kanji House in Singrauli is empty, cattle are crowded on the road

सिंगरौली. शहरी क्षेत्र में सडक़ पर छुट्टा मवेशियों डेरा जमना आमबात हो गई है। सडक़ पर मवेशीराज से एक ओर जहां नगर निगम के स्वच्छता अभियान को पलीता लग रहा है। वहीं दूसरी ओर से यातायात की समस्या उत्पन्न होती है। इन समस्याओं से निजात पाने के लिए पूर्वमें शहरी क्षेत्र में दो कांजी बनाए तो गए थे।

वर्तमान में दोनों हाउस केवल नाम के रह गए हैं। एक बंद है और दूसरे में एक भी मवेशी नहीं हैं। इन सब के बीच राहत भरी खबर यह है कि वर्तमान में जिले में पांच गौशालाओं का निर्माण कराया जा रहा है। माना जा रहा है कि गौशालाओं के तैयार होने के बाद बड़ी राहत मिलेगी।

नगर निगम क्षेत्र में बनाए गए कांजी हाउस को संचालित करने की उदासीनता की मुख्य वजह आर्थिक समस्या है। हाउस संचालन के लिए आर्थिक सहयोग नहीं मिलने के चलते एक बंद हो गया है और दूसरे में एक भी मवेशी नहीं रखे गए हैं। जबकि वर्तमान में भी सडक़ पर मवेशीराज कायम है।

इसका जीता जागता उदाहरण यह है कि नगर निगम की ओर से सख्ती बरतते हुए अभी हाल में सैकड़ों मवेशियों को नवजीवन विहार स्थित कांजी हाउस में बंद कर किया था। पालकों के हायतौबा मचाने पर निगम की ओर से मवेशियों को कांजी हाउस से आजाद तो कर दिया गया, लेकिन चंद दिनों बाद सडक़ों पर फिर से मवेशियों का राज शुरू हो गया। बता दें कि कांजी हाउस को संचालित करने के लिए कमीशन की पद्धति प्रचलन में है।

नगर निगम की ओर से तय नियमों के तहत कांजी हाउस का संचालन कमीशन के आधार पर निजी हाथों में दिया जाना निर्धारित किया गया है। हाउस के संचालक को कमीशन कांजी हाउस में बंद होने वाले मवेशियों के पालकों से आर्थिक दंड के रूप में मिलने रकम से प्राप्त होता है। इसी रकम में मवेशियों के लिए चारा पानी की व्यवस्था भी करनी होती है।इधर पालकों से अर्थदंड वसूल पाना संचालकों के लिए न ही संभव हो पा रहा है और न ही इसमें कोई संचालक रुचि ले रहा है।

जिले में निर्माणाधीन हैं पांच गौशालाएं
सडक़ पर मवेशीराज और ग्रामीण अंचल में ऐरा प्रथा से मुक्ति मिले। इस उद्देश्य को लेकर जिले में पांच गौशालाओं का निर्माण चल रहा है। बैढऩ क्षेत्र में दो गांव उर्ती व कुहिरा, देवसर के कुंदवार व घोघरा में और चितरंगी के बगैया गांव में गौशालाएं बनाई जा रही है। पशुपालन विभाग के अधिकारियों की माने तो निर्माण की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है। जल्द ही गौशालाओं का संचालन शुरू कर दिया जाएगा।

वर्तमान में दो निजी गौशालाएं संचालित
अधिकारियों के मुताबिक वर्तमान में जिले के दो गांवों में निजी गौशालाएं संचालित की जा रही हैं। एक बैढऩ के जमगढ़ी और दूसरी चितरंगी की बिरकुनिया गांव में निजी स्तर पर गौशालाएं संचालित हो रही हैं। बिरकुनिया में मवेशियों की संख्या 238 व जमगड़ी में 60 के करीब मवेशी मौजूद हैं। वहां मवेशियों के लिए चारा व पानी की व्यवस्था खुद संचालक की ओर से की जाती है।

गौशाला संचालन के लिए मिलेगा अनुदान
गौशालाओं के संचालन की स्थिति कांजी हाउस सरीके न हो, इसके लिए गौशाला संचालन के लिए अनुदान दिए जाने का निर्देश लिया गया है। हाल ही कलेक्टर की अध्यक्षता में आयोजित गौपालन एवं पशुधन संवर्धन समिति की बैठक में निर्णय लिया गया है कि प्रति गौवंश पर 20 रुपए की हर रोज अनुदान राशि दी जाएगी। 15 चारा-भूसा व पांच रुपए पशु आहार के लिए निर्धारित होगा।