राजस्व विभाग ने भी नहीं की तरमीम, करोड़ों की भूमि पर हो गई बसावट
सिंगरौली. अस्सी के दशक में जिला प्रशासन द्वारा आवंटित जमीन आबकारी महकमा संभाल नहीं सका। करीब 40 साल बाद अधिकारी हरकत में आए तो कब्जे देखकर हैरान रह गए। अब खाली जमीन कम और मकान ज्यादा हो गए। यहीं नहीं, छोड़ा बड़ा मार्केट खुल गया। अब उक्त जमीन को छुड़ाने के लिए विभाग को पसीना छूटता नजर आ रहा है। फिलहाल, मामले को जिला कलेक्टर के समक्ष ले जाने की तैयारी की जा रही है। अब देखना होगा कि इसमें विभागीय अधिकारी कितने सफल हो पाते है।
मजेदार बात यह है कि उक्त जमीन विभाग के खाते में कब आवंटित की गई, एक भी कर्मचारी तस्दीक करने की स्थिति में नहीं है क्योंकि उस समय का एक भी कर्मचारी कार्यरत नहीं है। ऐसे में विभाग केवल खसरा व आवंटन पत्रके आधार पर इस पर दावा कर रहा है।
210 एयर भूमि का एलॉटमेंट
राजस्व विभाग के रिकॉर्ड को देखे तो आबकारी विभाग को 1980 के दशक में कचनी में खसरा नम्बर 2405/2 रकबा 214 एयर भूमि का आवंटन किया गया था। हैरत की बात यह है कि इसके बाद तत्कालीन अधिकारियों ने इसे अपने कब्जे में लेने की कोशिश ही नहीं की। इसका नतीजा यह निकला कि मॉनिटरिंग के अभाव में जमीन आसपास के लोगों की नजरों में आ गई और धीरे-धीरे कर कच्चे पक्के निर्माण कर लिए गए। इसके बाद भी विभागीय कारिंदों ने इन कब्जों पर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा।
बन गया बाजार, बस गई बसावट
आवंटन के चार दशक बाद भी किसी ने सुध नहीं ली तो कच्चे निर्माण पक्के में तब्दील हो गए। देखते ही देखते उनमें व्यावसायिक गतिविधियां शुरू हो गई और आज छोटे बड़े बाजार के रूप में बदल गया। बसावट को देखते हुए नगर निगम ने भी सड़क का निर्माण कर दिया। जमीन का एक हिस्सा निकट पेट्रोल पम्प द्वारा भी दबा लिए जाने की बात कही जा रही है। वर्तमान में यहां करीब एक दर्जन परिवार निवासरत हैं। विभागीय सूत्रों से पता चला है कि इनमें से कई परिवारों ने कब्जाशुदा जमीन को आवंटित तक करवा लिया है। ऐसे में उक्त जमीन को खाली कराना विभाग के भी बूते में नहीं है।
राजस्व विभाग भी लापरवाह
इस पूरे मामले में आबकारी के साथ राजस्व विभाग के कारिंदों की भी लापरवाही सामने आईहै। किसी भी जमीन के आवंटन के बाद नक्शा तरमीम करने की जिम्मेदारी राजस्व अधिकारियों की होती है लेकिन यहां अब भी उक्त जमीन मालिकाना हक के तौर पर शासकीय बोल रही है। रिकॉर्ड में चार दशक बाद भी राजस्व विभाग उक्त जमीन को आबकारी के खाते में नहीं चढ़ा सका। उसी का फायदा अतिक्रमियों ने उठाया।
करोड़ों की जमीन, खुद किराए पर
सूत्रों के अनुसार कचनी मुख्य मार्ग स्थित उक्त जमीन बेशकीमती हो चली है। वर्तमान में यहां 5 से 6 लाख रुपए प्रति डिस्मिल का भाव चल रहा है। इस आधार पर 214 एयर जमीन की कीमत 4 से 5 करोड़ रुपए आंकी जा रही है। यह जमीन विभाग को कंट्रोल रूप, वेयर हाउस सहित अन्य निर्माण कार्यों के लिए दी गईथी। फिलहाल, कंट्रोल रूप तथा वेयर हाउस आदि थाना रोड पर किराए की दुकान में चल रहा है। इसके पेटे विभाग को हर साल मोटी रकम बतौर किराए चुकानी पड़ रही है।
......
मैंने जब से यहां का चार्ज संभाला है, विभाग की इस जमीन पर कब्जे का प्रयास शुरू कर दिया। अब उक्त फाइल जिला कलेक्टर को भेजी जा रही है।
अनिल जैन
जिला आबकारी अधिकारी, सिंगरौली