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जानिए राखी बांधने का सही समय और नियम, इस शुभ मुहूर्त में बांधे राखी

Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम, सुरक्षा और विश्वास का प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करते हुए उसकी कलाई पर राखी बांधती है। जानिए राखी बांधने का सही समय(Subh muhurat) और नियम...।

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रक्षाबंधन पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त (फोटो सोर्स : एआई जेनरेटेड)

Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम, सुरक्षा और विश्वास का प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करते हुए उसकी कलाई पर राखी बांधती है, तिलक करती है और आरती उतारती हैं। भाई भी बहन की रक्षा का वचन देता है और उपहार देता है। यह पर्व हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। मध्यप्रदेश के ज्योतिषाचार्य लक्ष्मण दास ने राखी बांधने के शुभ समय को लेकर जानकारी दी है।

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त(Raksha Bandhan Subh Muhurat)

  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 8 अगस्त, दोपहर 2.12 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त 9 अगस्त 2025, दोपहर 1.21 बजे
  • शुभ चौघडिय़ा प्रात: 07.35 से 09.15 बजे तक
  • चर, लाभ, अमृत चौघडिय़ा दोपहर 12.32 से शाम 05.26 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12.08 से 12.56 बजे तक

रक्षाबंधन की तिथि और शुभ समय

रक्षाबंधन(Raksha Bandhan 2025) इस साल शनिवार 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का कोई प्रभाव नहीं रहेगा।

इस बार नहीं है भद्रा का अशुभ साया

पिछले कुछ वर्षों से रक्षाबंधन पर भद्रा काल के कारण बहनें असमंजस में रहती थीं। लेकिन इस बार भद्रा काल 8 अगस्त को दोपहर 2.12 बजे से शुरू होकर रात 1.52 बजे तक रहेगा, जो कि रक्षाबंधन की तिथि से पहले ही समाप्त हो जाएगा। 9 अगस्त को पूरे दिन शुभ समय रहेगा और भाई-बहन बिना किसी विध्न के प्रेमपूर्वक त्योहार मना सकेंगे।

बन रहे ये शुभ योग

इस साल रक्षाबंधन के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जैसे सौभाग्य योग, शोभन योग और सर्वार्थ सिद्धि योग। ज्योतिष शास्त्र के अनुसारए इन योगों में किया गया कोई भी शुभ कार्य विशेष फलदायी होता है और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। ये योग रक्षाबंधन के महत्व को और बढ़ा देते हैं।

राखी बांधने की विधि और दिशा

  • राखी बांधते समय ध्यान रखें कि भाई पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे। पूजा की थाली में चावल, रोली, दीपक, राखी और मिठाई रखें।
  • सबसे पहले भाई को रोली से तिलक करें।
  • तिलक के बाद अक्षत लगाएं, जो अखंड शुभता का प्रतीक हैं।
  • फिर राखी बांधें और आरती उतारें।
  • भाई को मिठाई खिलाएं और दीर्घायु की कामना करें।