पटेल बिना किसी भय के सड़क पर रुक गए। भालू भी रुक गया। थोड़ी देर के लिए दोनों एक-दूसरे को निहारते रहे। बाद में भालू धीरे-धीरे सड़क पर विचरण करते हुए सर्किट हाउस की तरफ झाड़ियों में जाकर बैठ गया। कुछ समय बाद फिर से भालू सड़क पर चहलकदमी करते हुए दिखाई दिया। लोगों की ओर से शोर मचाने पर भालू फिर से झाड़ियों में ओझल हो गया।
भालू पास में आकर ही बैठ गया था:
पटेल का कहना है कि अनादरा प्वाइंट की ओर जाने वाले मार्ग पर एक बार तो भालू चुपके से मेरे पीछे आकर बैठ गया था। भालू की सांसों का अहसास होने पर पता चला कि कोई पीछे है जब पीछे मुड़कर देखा तो भालू पास में बैठा था, धीरे से उठकर मैं किनारे हो गया और भालू भी अपने रास्ते से होते हुए वन्यक्षेत्र की ओर चला गया।