2013 में लापता हुआ था राजस्थान का अशोक, 10 साल बिहार में रहा वर्ष 2013 में देलदर गांव निवासी मजदूरी करने वाले शंकरलाल भील का 6 वर्षीय पुत्र अशोक कुमार घर से 20 रुपए लेकर मानपुर जाने की कहकर निकला था, लेकिन गलती से रेलवे स्टेशन से किसी ट्रेन में चढ़कर बिहार पहुंच गया। बिहार में एक परिवार को मिलने पर बालक को अपने साथ रख लिया। करीब 10 वर्ष तक उक्त परिवार के साथ रहने के बाद बालक अशोक वहां से भागकर अमृतसर पहुंच गया। जहां पुलिस ने उसे पटियाला के राजपुरा चिल्ड्रन होम भेज दिया। परिवार से 10 वर्ष बाद गुमशुदा बच्चे को परिवार से मिलाने में हरियाणा मानव तस्करी निरोधक सेल के एएसआई राजेश कुमार व देलदर गांव के राजूभाई सैन ने अहम भूमिका निभाई।
राजेश कुमार ने चिल्ड्रन होम से गुमशुदा बालकों की जानकारी ली तो पटियाला के राजपुरा चिल्ड्रन होम में मार्च माह से रह रहे एक गुमशुदा बच्चे के परिजनों के अब तक नहीं मिलने का पता चला। उसने परिजनों को खोजने की कोशिश की तो पहले बिहार के सुंदरलाल के पास रहने से उनसे संपर्क किया गया।
सुंदरलाल ने उसके कोई पुत्र नहीं होने व गुमशुदा बच्चा उसे 6 वर्ष की आयु में मिलने और कुछ माह पूर्व घर से भागने की जानकारी दी। जिस पर पुलिसकर्मी ने हार नहीं मानते हुए बालक से उसके गांव व परिवार की जानकारी जुटाई। अशोक ने अपने गांव का नाम दलधर बताया। इस पर एएसआई ने राजस्थान में इस नाम के गांव की खोज की तो सिरोही जिले में आबूरोड के देलदर गांव का पता लगा।
एएसआई ने फोन कर मांगी थी बालक की जानकारी – सैन एएसआई को देलदर गांव में बालक के पिता की जानकारी नहीं होने से गांव के ही निवासी राजुभाई सैन से सम्पर्क किया। इस पर राजुभाई ने गांव में करीब 10 वर्ष पूर्व गुम हुए एक बालक व उसके परिवार की जानकारी दी। अगले दिन राजूभाई ने वीडियो कॉल पर पिता की पुलिसकर्मी से बात करवाई।
देलदर निवासी राजूभाई सैन ने बताया कि रात्रि करीब 10 बजे एक पुलिसकर्मी का फोन आया था और 10 वर्ष पहले गम हुए बालक के बारे में पूछताछ कर रहा था, तो उसने गांव के शंकरलाल भील के पुत्र के गुम होने की जानकारी दी। अगले दिन शंकर और पुलिसकर्मी की वीडियो कॉल पर बात करवाई तो पिता-पुत्र ने एक-दूसरे को पहचान लिया। जिसके बाद वह और शंकरलाल आवश्यक कागजी कार्यवाही कर अमृतसर से राजपुरा चिल्ड्रन होम पहुंचे। जहां 10 वर्ष से गुमशुदा अशोक को वापस घर लेकर आए।
हर आहट पर लगता था बेटा आ गया अपने बिछड़े बेटे को 10 वर्ष बाद पंजाब में देख पिता शंकरलाल भील की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। पिता ने बताया कि बेटे के गुमशुदा होने पर उसे कई साल तक हर जगह तलाशा। घर की चौखट पर हर आवाज से लगता था बेटा वापस आ गया। काफी तलाश करने पर भी नहीं बेटे के नहीं मिलने पर वह निराश हो गया था, लेकिन भगवान का शुक्र है कि अब दस साल बाद खोया बेटा वापस सकुशल मिल गया।