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इतिहास में पहली बार 450 बेटियां एक साथ अपनाएगी संयम का मार्ग, पीएचडी, इंजीनियरिंग, एमटेक, एमएससी भी परमात्मा को करेगी समर्पित

ब्रह्माकुमारी में पहली बार एक साथ होगा 450 युवतियों का समर्पण समारोह, देशभर से बेटियां अपने माता-पिता व परिजन के साथ पहुंचीं मुख्यालय शांतिवन

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इतिहास में पहली बार 450 बेटियां एक साथ अपनाएगी संयम का मार्ग, पीएचडी, इंजीनियरिंग, एमटेक, एमएससी भी परमात्मा को करेगी समर्पित

इतिहास में पहली बार 450 बेटियां एक साथ अपनाएगी संयम का मार्ग, पीएचडी, इंजीनियरिंग, एमटेक, एमएससी भी परमात्मा को करेगी समर्पित

Brahmakumari Sansthan Abu Roadआबूरोड. ब्रह्माकुमारी संस्थान के शांतिवन में आयोजित होने वाले समर्पण समारोह में संस्थान के इतिहास में पहली बार देशभर से 450 बेटियां एक साथ संस्थान में समर्पित होकर संयम का मार्ग अपनाएगी। इनमें पीएचडी, इंजीनियरिंग, एमटेक, एमएससी, नर्सिंग, लॉ कर चुकी युवतियां भी शामिल है। बहनों का अलौकिक समर्पण समारोह आज रात को होने जा रहा है। इसके साक्षी देशभर से आए 15 हजार लोग बनेंगे। समर्पण करने वाली बेटियां अपने माता-पिता और परिजन के साथ शांतिवन पहुंच चुकी हैं।

तीन दिवसीय समर्पण समारोह का शुभारंभ बुधवार को किया गया। पहले दिन संस्थान की संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मुन्नी दीदी ने एक-एक सभी बहनों, उनके माता-पिता व परिजन से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि वह माता-पिता बहुत भाग्यशाली हैं जिनके घरों में ऐसी दैवी स्वरूपा बेटियां जन्म लेती हैं। जो खुद के साथ परिवार और समाज का नाम रोशन करने जा रही हैं। अपने लिए तो सभी जीवन जीते हैं, लेकिन अब ये बेटियां ब्रह्माकुमारी बनकर समाजसेवा, समाज कल्याण में अपना जीवन समर्पित करने जा रही हैं।

सभी 450 बेटियों के माता-पिता और परिजन संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी के हाथों में अपनी लाड़लियों का हाथ सौपेंगे। इसके साथ ही समर्पण की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। सभी बहनें दुल्हन के रूप में सज-धजकर परमपिता शिव के यादगार स्मृति चिह्न शिवलिंग को वरमाला पहनाएंगी व उन्हें ही साजन के रूप में स्वीकार कर सेवा में ही अपना जीवन समर्पण करने का संकल्प लेंगी।


पांच साल की ट्रेनिंग के बाद बनती हैं ब्रह्माकुमारी

ब्रह्माकुमारी बनने से पहले कन्याएं पांच साल तक सेवा केंद्र पर रहती है। इस दौरान उनका आचरण, सोच, विचार, व्यवहार व आध्यात्म के प्रति लगन देखी जाती है। साथ ही ब्रह्माकुमारी संस्थान के नियम-मर्यादा अनुसार जो कन्याएं पूरी तरह से त्याग-तपस्या के पथ पर चलती हैं, तो उन्हें फिर समर्पित किया जाता है। इसके साथ ही अलौकिक समर्पण समारोह की प्रक्रिया पूरी की जाती है। एक ब्रह्माकुमारी की दिनचर्या में अलसुबह अमृतवेला 3.30 बजे उठ राजयोग ध्यान से लेकर सेवा, नियमित सत्संग शामिल होता है।

अब तक का सबसे बड़ा समर्पण समारोह

शांतिवन समेत पूरे विश्व में ब्रह्माकुमारी संस्थान का यह अब तक का सबसे बड़ा समर्पण समारोह का आयोजन है। इससे पूर्व वर्ष 2013 में एक साथ 400 बेटियों ने संयम के पथ पर चलने का संकल्प कर समर्पण किया था।