
माउंट आबू. पहाड़ी पर 20 किलोमीटर के दायरे में फैली आग
माउंट आबू. गर्मियों के मौसम में पहाड़ी इलाकों में अक्सर दावानल लगता रहता है और वन महकमा आग बुझाने की पहले से ही तैयारियां कर लेता हैं। पर, माउंट आबू में वन विभाग की उदासीनता के कारण अब आग बुझाने को लेकर वन कर्मियों, वन मित्रों व वन सहयोगियों में असमंज की स्थिति बनी हुई है। कर्मचारियों व अधिकारियों में आपसी तालमेल के अभाव एवं आग की घटनाओं के शुरुआती दौर में इसे गंभीरता से नहीं लिए जाने के कारण अब दावानल विकराल रूप ले रहा है। इन हालात में वन विभाग की ओर से रात-दिन एक किए जाने के बावजूद आग पर काबू पाना चुनौती बन गया है। शुक्रवार को आबूरोड तलेटी से लेकर माउंट आबू तक करीब दर्जनभर स्थानों पर दावानल धधकता रहा। रास्ते में करीब पंद्रह किलोमीटर तक रात में आग की लपटों को देखकर सैलानी भी एकबारगी तो डर गए। हालात यह थे कि पूरे रास्ते धुआं व प्रदूषण के कारण पर्यटक अपने वाहनों के शीशे तक नहीं खोल पाए। कई खौफजदां पर्यटक तो रात में माउंट आबू चढ़ने की बजाए आबूरोड में ही रूक गए। तेज हवा के कारण गुरुवार रात पूरे जंगल में आग तेजी से फैली। सड़क पर चलते वाहन चालकों के लिए यह नजारा कौतुहल का विषय बना रहा। बावजूद इसके विलम्ब से पहुंचे वनकर्मी महज औपचारिकता में जुटे देखे गए।
पखवाड़े से लगा हुआ है दावानल
सच तो यह है कि करीब पखवाड़ेभर से माउंट के जंगलों में दर्जनभर से भी ज्यादा स्थानों पर आग लगी हुई है। महकमे की ओर से समय रहते इस पर काबू नहीं पाने से आग ने अब विकराल रूप ले लिया है। जिससे बड़ी संख्या में वन-सम्पदा को नुकसान होने के साथ कई जीव-जंतु भी काल कवलित हो रहे हैं। गुरुवार रात को छिपावेरी, बाघ नाला, सात घूम, 20 नम्बर पिलर, हनुमानजी मंदिर व आरणा क्षेत्र की तरफ आग ने विकराल रूप लिया। विभाग के कर्मचारियों व मजदूरों ने रातभर आग पर काबू पाने के प्रयास किए। हालांकि, कई जगह उन्हें आग पर काबू पाने में सफलता मिली, पर शुक्रवार दिन में भी दर्जनों स्थानों पर दावानल धधकता देखा गया। आग बुझाने की कवायद जारी है।
खुद हादसे को न्योता देते पहुंचा दमकल वाहन
आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग के पास मिनी दमकल वाहन है। आग काबू में नहीं आने पर पालिका के बड़े दमकल वाहन को बुलाया जाता है। हालांकि, गुरुवार रात 9 बजे पालिका का दमकल वाहन बिना लाइट के ही मौके पर पहुंच गया। बिना लाइट के यह भी हादसे को न्योता देने वाला लगा। दरअसल पांच साल से इसकी सही देखरेख नहीं होने से यह भी बीमारू हो चुका है।
अधिकारियों का बहाना, संसाधनों की कमी
विभाग के अधिकारियों के मुताबिक माउंट का जंगल 32 हजार हैक्टेयर में फैला हुआ है। महकमा संसाधनों व वनकर्मियों की कमी से जूझ रहा है। विभाग के करीब दर्जनभर से ज्यादा नाके हैं। महज एक वायरलेस सेट है। जंगल में आग लगने की सूचना या तो लोगों से मिलती है या फिर धुआं दिखाई देने पर केवल वायरलेस से उच्च अधिकारियों को सूचना दी जाती है। कई बार तो लोकेशन का पता लगे बिना ही आग बुझाने के लिए टीम मौके पर पहुंचती है। कई बार तो आग बुझाने में कई दिन लग जाते हैं। आग बुझाने वाले कर्मचारियों व मजदूरों के लिए पानी व भोजन की व्यवस्था करना भी दूभर हो जाता है। विभाग ने कई बार बजट व संसाधनों की कमी को लेकर सरकार को अवगत करवाया, पर नतीजा नहीं निकला।नतीजतन जंगल को दावानल से भारी नुकसान पहुंच रहा है।
सौ कार्मिकों की फौज, पर आग बुझाने में नाकामयाबी
विभाग के पास वनकर्मी, वनमित्र, वन मजदूर व सहयोगियों को मिलाकर करीब सौ से भी ज्यादा कार्मिकों की फौज होने के बावजूद आग पर कंट्रोल नहीं करना विभाग की उदासीनता या अधिकारियों की लापरवाही कही जा सकती है। जून में भीषण गर्मी के दौर में आग की घटनाएं बढ़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
ग्रीष्म महोत्सव छोड़ पालिका अध्यक्ष पहुंचे आग बुझाने
इसे भी दिलचस्प ही कहा जाएगा कि तीन दिवसीय ग्रीष्म महोत्सव के आयोजन के बावजूद शुक्रवार को पालिकाध्यक्ष जीतू राणा सभी कार्यक्रम छोड़कर अपनी टीम के साथ आग बुझाने के लिए जंगल में निकल पड़े। उन्होंने बताया कि अब वे आग बुझाकर ही जंगल से लौटेंगे। हम आपको बता दें कि पालिकाध्यक्ष जीतू राणा अध्यक्ष के पद पर सत्तासीन होने से पूर्व वन विभाग में दैनिक वेतन पर आग बुझाने का कार्य करते थे। देसी तकनीकी के आधार पर आग बुझाने में माहिर जीतू राणा व उनकी टीम ने वर्ष-2017 में भी भीषण आग को बुझाने का रिकॉर्ड बनाया था।
इन्होंने बताया ...
कई स्थानों पर आग लगी हुई है। अंधविश्वास के चलते कुछ लोग आग लगा रहे हैं। आग पर काबू पाने के प्रयास जारी है। जल्द ही आग बुझा ली जाएगी।
- विजयशंकर पांडे, डीएफओ, माउंट आबू
हम रात में माउंट आबू आ रहे थे। तलेटी से जैसे ही ऊपर चढ़ने शुरू हुए, काफी धुआं व आग की लपटें देखकर हम वापस नीचे उतर गए और नाइट हॉल्ट आबूरोड में ही किया। सुबह माउंट पहुंचे।
- सुनील पटेल व पिंकी पटेल, सैलानी, मेहसाणा
Published on:
14 May 2022 03:35 pm
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