18 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मेहनत की बूंदों से… खुशी के फूल

परिवार की हर तरह की जरूरत पूरी करने की जद्दोजहद में जुटे किसानों ने नवाचारों की राह पकडी। सपने को साकार करने के लिए मेहनत मे कोई कसर नहीं छोडी। कुदरत ने भी उनकी मेहनत का पूरा प्रतिफल दिया। अब किसान परिवारों का जीवन संवर रहा है... मिलिए परंपरागत खेती से हटकर नवाचार करने वाले किसान से...

less than 1 minute read
Google source verification
मेहनत की बूंदों से... खुशी के फूल

मेहनत की बूंदों से... खुशी के फूल

गुलाब की खेती से महकी जिंदगी

अमरसिंह राव @ सिरोही

गुलाब की खेती से शिवगंज तहसील के चांदना गांव के किसान जितेन्द्र सिंह के जीवन की बगिया में मानों बहार आ गई है। जितेन्द्र का परिवार कुछ साल पहले तक बीस हजार रुपए हर वर्ष कमा पाता था। घर खर्च चलाने के लिए उसे और भी काम करने पड़ते थे। वह कुछ सालों से परम्परागत खेती छोड़ कर अपने खेत में उगाए गए गुलाब के फूलों को बेच कर चार लाख रुपए सालाना कमा रहा है।

वैज्ञानिक विधि अपनाई

किसान ने बताया कि दो-दो बीघा में गुलाब के दो अलग-अलग बगीचे लगाएं हैं। इस खेती में उसने वैज्ञानिक विधि का उपयोग किया है। इससे पौधों की बढ़वार व उत्पादन ज्यादा होता है। समय-समय पर पौधों की कटाई-छटाई करते हैं।

नीम पत्तियों का काढ़ा कारगर

माहू, चैम्पा एवं कीटों से बचाव के लिए वह नीम की पत्तियों का काढ़ा छिड़कते हैं। प्रकोप ज्यादा होने पर गौ-मूत्र को माइक्रो झाझम के साथ मिल कर छिड़काव किया जाता है।

सालभर बनी रहती है मांग

गुुलाब के फूलों की सालभर मांग होने से बगीचे के फूल पाली, शिवगंज एवं सुमरेपुर के बाजार के बाजारों में ही बिक जाते हैं। जितेन्द्र गुलाब की खेती को अच्छे मुनाफा की खेती मानते हैं।