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सिरोही का एक ऐसा स्कूल जहां पर शिक्षकों ने भामाशाह बन खण्डहर भवन की बदली तस्वीर

- पोसालिया के बालिका माध्यमिक विद्यालय में कैमरे से नजर - क्लब के जरिए शिक्षक निर्धारित रुपए करते हैं खर्च

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सिरोही का एक ऐसा स्कूल जहां पर शिक्षकों ने भामाशाह बन खण्डहर भवन की बदली तस्वीर

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सिरोही से भरत कुमार प्रजापत की रिपोर्ट
सिरोही.मनुष्य अगर मेहनत और लगन से किसी कार्य का संकल्प ले तो उसे सफलता जरूर मिलती है। स्वप्रेरणा से मुश्किल कार्यों को आसानी से करना संभव है। बस खुद कुछ कर दिखाने की हिम्मत अपने भीतर जगानी पड़ती है। इसके बाद कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है शिवगंज तहसील के पोसालिया के राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों ने। इनके रहनुमा बने करीब तीन साल पहले आए संस्था प्रधान गंगाधर पाठक।
पाठक बताते हैं कि 28 दिसंबर 2017 को संस्था प्रधान का कार्यभार संभाला था। विद्यालय परिसर व भवन खण्डहर जैसा था। उन्होंने कायाकल्प की ठानी और अन्य शिक्षकों के सहयोग से सफल भी हुए। जब उनकी नियुक्ति हुई तब यहां मूलभूत सुविधाओं की बहुत कमी थी। स्कूल का मुख्य प्रवेश द्वार नहीं था। शौचालय व मूत्रालय टूटे थे। ऐसे में बालिकाओं को समस्या होती थी। पीने का पानी नहीं था। सुधार कार्य के लिए भामाशाहों से सम्पर्क किया लेकिन पर्याप्त सहयोग नहीं मिला। इस दौरान पूर्व जिला प्रमुख विद्यालय आईं। उनके समक्ष बजट की मांग रखी तो उन्होंने शौचालय बनवा दिया।

क्लब के जरिए किया धन एकत्र
उनका कहना है कि विद्यालय परिसर देखकर बहुत पीड़ा होती थी। उन्होंने शिक्षकों के समक्ष आर्थिक सहयोग का प्रस्ताव रखा तो वे सहर्ष तैयार हो गए। शिक्षकों के सहयोग से क्लब बनाया गया। शिक्षक वेतन से तय राशि क्लब में जमा करते हैं। इसकी राशि विद्यालय विकास और जरूरतमंद विद्यार्थियों के लिए खर्च की जाती है। उनकी फीस भरते हंै। कोरोना काल में अधिकांश विद्यार्थियों की फीस भरी गई है। घर-घर जाकर बच्चों को स्कूल में प्रवेश के लिए प्रेरित किया। विद्यालय निरंतर प्रगति कर रहा है। स्कूल में स्वीकृत पद 18 हैं और वर्तमान में 16 कर्मचारी कार्यरत हैं। नामांकन इस साल बढ़कर 438 हो गया है।

लुभाता है सुंदर बगीचा
उन्होंने बताया कि सभी के आर्थिक सहयोग से स्कूल परिसर में सुंदर बगीचा विकसित किया गया है। इसमें औषधीय पौधे भी लगाए गए हंै। इससे उत्पन्न हरियाली सभी को लुभाती है। आगंतुक भी तारीफ करते हैं। वाटिका बनाने में शिक्षक रामदेव बिश्नोई का मुख्य सहयोग रहा। स्कूल का प्रवेश द्वार मानसिंह राव ने भेंट किया था। पूर्व सरपंच के कार्यकाल में बोरवैल किया गया। ऐसे में अब पौधों की सिंचाई व विद्यार्थियों के लिए पर्याप्त पानी है। स्कूल के बरामदे में सभी जगह जाली लगी हुई ताकि कोई अंदर नहीं घुस सके।

सीसीटीवी कैमरे से नजर
स्कूल परिसर में सुरक्षा के लिए पांच सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। संस्था प्रधान के कक्ष से परिसर में निगरानी रखी जाती है। इस कार्य में भामाशाहों ने भी सहयोग किया। स्कूल के ऑनलाइन कार्य के लिए इंटरनेट है। इनवर्टर मोहन जैन ने दिया है। पोसालिया में मानव सेवा समिति की ओर से हर साल विद्यार्थियों को कॉपियां बांटी जाती हंै। स्कूल परिसर में रंग-रोगन करवाया गया। वॉटर कूलर गौरी अग्रवाल के पिता ने दिया।

मेधावी हैं विद्यार्थी
स्कूल के छात्र हर गतिविधियों में अव्वल रहते हैं। दिव्या कंवर राव का अंडर-19 सॉफ्टबॉल प्रतियोगिता में नेशनल कैम्प में चयन हुआ। एक से दसवीं तक का परिणाम भी अच्छा रहा। पढ़ाई के लिए कम्प्यूटर लैब, साइंस लैब है। स्कूल की दीवारों पर ज्ञानर्वधन भित्ति चित्र, स्लोगन व अन्य जानकारी अंकित की गई है ताकि विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास हो सके।

ये हैं प्रमुख सहयोगकर्ता
गजेन्द्र कुमार गहलोत, अंजना वर्मा, मदनलाल, बाबूसिंह राव, कविता, रामदेव बिश्नोई, रवि चारण, मंजू गोस्वामी, राजेश कुमार, जेठाराम मीना, हकमाराम मीना, गजराज कंवर, महेन्द्र कुमार, अंशी देवी, गीता देवी।