जिला मुख्यालय स्थित रामझरोखा मंदिर के पुजारी गिरीश भाई रावल ने बताया कि सर्दी बढ़ते ही भगवान का पहनावा भी बदल दिया जाता है। भगवान को ऊनी वस्त्र पहनाना 16 दिसम्बर से शुरू किया था, जो 14 जनवरी तक चलेगा। रावल ने बताया कि भगवान की प्रतिदिन पूजा अर्चना कर गर्म व्यंजनों का भोग लगाया जा रहा है। भगवान को पोशाक के साथ कंबल व शॉल भी ओढ़ाई जा रही है। सुनारवाड़ा के मुरलीधरजी मंदिर में भी सर्दी में पूजा के समय से लेकर ठाकुरजी की पोशाक व प्रसादी में बदलाव किया है। इसके अलावा जिले के अन्य मंदिरों में भी तेज सर्दी को देखते हुए भगवान की पोशाक व प्रसादी में बदलाव किया गया है।
कुछ मंदिरों में भगवान की पोशाक में परिवर्तन करने के अलावा सर्दी से बचाव के लिए सुबह-शाम अंगीठी भी जलाई जाती है।इसके अलावा सेवा पूजा व आरती के समय में भी बदलाव किया गया है।