खस्ताहाल आठ कमरों पर जड़े जा चुके हैं ताले
स्कूल प्रबंधन ने मासूमों पर मंडराते खतरे को टालने के कमरे बंद ही कर दिए हैं, ताकि उनमें कोई जा नहीं सकें। अन्य कमरे भी खस्ताहाल हैं। शिक्षक हर पल डर के साये में पढ़ाने व छात्र-छात्राएं पढऩे को विवश हैं। स्कूल प्रबंधन ने मरम्मत के लिए एस्टीमेट व प्रस्ताव बनाकर उच्चाधिकारियों को भेजे, पर कोई सुनवाई नहीं हुई। फिर बजट या स्वीकृति की तो उम्मीद भी कैसे की जा सकती है। हालांकि, 6 जुलाई को स्कूल प्रबंधन ने फिर से रिमांइडर भेजा है। इस आस में कि शायद सुनवाई हो जाए।
हादसे को न्योता
स्कूल भवन में बच्चों के लिए बने टॉयलेट भी जर्जरहाल हैं। टॉयलेट से दो फिट की दूरी पर से निकलती कॉलोनियों की गटर लाइन को दुरुस्त करने के लिए पालिका ने कई महीनों पूर्व 10 फीट गहरा गड्ढा खुदवाया था, जो बंद नहीं किया गया। यह भी अब मासूमों के लिए आपदा का सबब बना हुआ है। बारिश के दौरान कभी भी बड़ा हादसा होने की आशंका से इनकार नहीं किया सकता। हालांकि स्कूल प्रबंधन के अनुरोध पर एक एनजीओ ने टॉयलेट की मरमत करवाने का भरोसा जरूर दिलाया है।
आठ कमरे हमने पूरी तरह बंद कर दिए हैं। पूरे भवन को मरम्मत की जरूरत है। हमने सारे एस्टीमेट व प्रस्ताव बनाकर आला अधिकारियों को भेजे हुए हैं। हाल ही में रिमाइंडर भी भेजा है। बजट मिलने पर कार्य शुरू हो सकता है।
नीति जिबू, प्रिंसिपल, राउमा विद्यालय, माउंट आबू
जीतू राणा, अध्यक्ष, माउंट पालिका