17 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

नवाचार: काश्तकार ओबाराम ने जुगाड़ से बनाए Òरोपड़ीÓ कृषि उपकरण से मजदूरी में अस्सी फीसदी की बचत

- हाल ही में बनाया ÒपेरणीÓ उपकरण Òथ्री-इन-वनÓ का काम कर रहा

2 min read
Google source verification
नवाचार: काश्तकार ओबाराम ने जुगाड़ से बनाए Òरोपड़ीÓ कृषि उपकरण से मजदूरी में अस्सी फीसदी की बचत

मंडार. काश्तकार ओबाराम कलबी खेती में नवाचार कर कृषि उपकरणों के मामले में बन रहे आत्मनिर्भर।

मंडार (सिरोही). समीपवर्ती बांट के काश्तकार ओबाराम कलबी खेती में उपयोगी कई कृषि यंत्रों के मामले में आत्मनिर्भर बनने के प्रयासों में मुस्तैदी से जुटे हुए हैं। वे खेती में उपयोग में लिए जाने वाले कई छोटे-मोटे यंत्रों को खुद बनाकर अपनी कारीगरी का भी प्रदर्शन कर रहे हैं। दरअसल ओबाराम किसान मित्र भी है। उन्हें कुछ न कुछ नया करने की सदैव ललक रहती है। उन्होंने बताया कि करीब पांच साल पूर्व वे बाजार से लोहा खरीदकर कर ले आए और खेत में खड़ी फसल की दो कतारों के बीच की खरपतवार निकालने में उपयोगी Òरोपड़ीÓ यंत्र अपने हाथों से ही बना दिया। आज यह Òरोपड़ीÓ यंत्र उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहा है।

Òथ्री-इन-वनÓ का काम कर रही खुद ने बनाई ÒपेरणीÓ

इन दिनों उन्होंने एक ÒपेरणीÓ बनाई है, जो Òथ्री-इन-वनÓ का काम कर रही है। यह ÒपेरणीÓ भूमि को समतल करती है। बुवाई के समय बीज व खाद समान मात्रा में खेत में डालती है। साथ ही पानी का भी छिडक़ाव करती है। ओबाराम ने बताया कि मंडार उप तहसील क्षेत्र में अन्य गांवों की तुलना में बांट गांव में जल स्तर की स्थिति काफी अच्छी है। सिंचाई की सुविधा अच्छी मिलने से फसलों की पैदावार भी अच्छी होती है। यहां मूंगफली की साल में दो बार बम्पर बुवाई की जाती है। उन्होंने बताया कि पांच साल पहले बनाई Òरोपड़ीÓ से मूंगफली की फसल निकालने में किसानों को ज्यादा मजदूर नहीं लगाने पड़ते। मसलन मजदूरी में लगभग अस्सी प्रतिशत का फायदा होता है। यह Òरोपड़ीÓ एक घंटे में करीब पांच बीघा जमीन में से मूंगफली निकाल सकती है, जबकि बाजार से खरीदी जाने वाली Òरोपड़ीÓ सिर्फ डेढ़ बीघा जमीन में से ही मूंगफली की फसल निकाल सकती है।

अब ÒदंतालीÓ उपकरण बनाने की कर रहे प्लानिंग

उन्होंने हाल ही में मूंगफली की बुवाई के लिए बनाई ÒपेरणीÓ भी बेहतर साबित हो रही है। इस ÒपेरणीÓ को बनाने पर मात्र पैसठ हजार रुपए की लागत आई है। इसमें प्लास्टिक के दो छोटे ड्रम, दो मोटर, ज्वाइंट व कुछ अन्य सामान लगा है। यह थ्री-इन-वन ÒपेरणीÓ भूमि को समतल करने, समान मात्रा में खाद-बीज डालने व पानी में घोले कीटनाशक का जमीन में छिड़काव करने का काम एक साथ करती है। ये तीनों काम एक साथ होने से किसान को भी ज्यादा फायदा होता है। ओबाराम ने बताया कि अब वे खेत से पराली व खरपतवार को कचरा एकत्रित करने के लिए ÒदंतालीÓ उपकरण बनाने जा रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि यह ÒदंतालीÓ उपकरण बेहतर साबित होगा।