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सिरोही.राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम को सिरोही डिपो में बसों का संचालन महंगा साबित हो रहा है। हर महीने लाखों रुपए का घाटा हो रहा है। हालत यह है कि कुछ रूट छोड़कर लगभग सभी पर घाटा हो रहा है। इसका प्रमुख कारण निजी बसों में कम किराया और गंतव्य तक सफर में समय कम लगना है। साथ ही, सफर भी सुविधाजनक रहता है।
रोडवेज के बढ़ते घाटे का एक और कारण नई बसों की खरीद पर रोक भी है। रोडवेज ने फरवरी 2014 के बाद नई बसों की खरीद नहीं की है। पुरानी बसें होने के कारण रख-रखाव खर्च भी ज्यादा हो रहा है। पिछले चार महीने में दिसम्बर 2019 में 36 लाख, जनवरी में 9.36 लाख, फरवरी में 9 लाख और मार्च में 24 लाख का घाटा हुआ है। वैसे रोडवेज अधिकारी घाटे से बाहर निकलने के लिए बसों का निरीक्षण व परिचालकों को लक्ष्य प्राप्ति के लिए निर्देश देते रहते हैं।
वर्तमान में सिरोही डिपो में 60 बसें संचालित हंै। वहीं 57-58 रूट पर चलती हैं। प्रतिदिन 24112 किलोमीटर चलती हैं। करीब 6 लाख रुपए प्रतिदिन राजस्व अर्जित हो रहा है। पिछले सितम्बर से फरवरी की रिपोर्ट के अनुसार सिरोही डिपो 28वें व आबूरोड डिपो 9 नम्बर पर रहा।
चार महीने की स्थिति
- दिसम्बर 2018 में सात लाख किलोमीटर बसें चलीं। इसमें 1.94 करोड़ का राजस्व अर्जित हुआ था। 2.30 करोड़ का खर्च हुआ। ऐसे में 36 लाख रुपए का घाटा हुआ।
- जनवरी 2019 में भी सात लाख किलोमीटर बसें चलीं। इसमें 1.98 करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित किया। 2.08 करोड़ रुपए खर्च हुआ था। इसमें 9 लाख रुपए का नुकसान हुआ था।
- फरवरी 2019 में 6.38 लाख किलोमीटर बसें चली। 1.86 करोड़ का राजस्व अर्जित हुआ। 1.95 करोड़ रुपए खर्च था। इससे 9 लाख रुपए का नुकसान हुआ था।
- मार्च 2019 में 6.91 लाख किलोमीटर बसें चली। 1.95 करोड़ का राजस्व अर्जित हुआ। 2.19 करोड़ रुपए खर्च हुए। इससे सिरोही डिपो को 24 लाख घाटा हुआ था।
इन्होंने बताया
सभी डिपो के यही हालत है। नई बसें व कर्मचारियों का अभाव होने के बावजूद लक्ष्य प्राप्ति के प्रयास करते हैं।
अशोक सांखला, मुख्य प्रबंधक, रोडवेज सिरोही
घाटे से बाहर निकलने के लिए अधिकारियों की ओर से समय-समय पर बसों का निरीक्षण व परिचालकों को लक्ष्य प्राप्त करने के निर्देश देते हैं। प्रयास जारी हैं।
बीएस बैरवा, प्रबंधक वित्त, रोडवेज, सिरोही
Published on:
17 Apr 2019 11:12 am
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