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मंडार. कस्बे के लीलाधारी महादेव के पीछे सफाई व सौन्दर्यीकरण को लेकर जेसीबी से चल रहे भूमि समतलीकरण के दौरान जैन तीर्थंकर की अतिप्राचीन खंडित प्रतिमा निकली।
जानकारी मिलते ही पेढ़ी से लोग मौके पर पहुंचे और इसे मुनि सुव्रत स्वामी की खंडित प्रतिमा होना बताया। खंडित प्रतिमा के दर्शन व पूजा निषेध होने से अलग जगह रखवाया है। जल्द ही निर्णय कर संग्रहालय में भिजवा दी जाएगी। मौके पर सरपंच परबतसिंह देवड़ा समेत कई लोग उपस्थित थे।
जैन समाज के प्रवीण सुराणा ने बताया कि लीलाधारी महादेव मंदिर के पीछे तलहटी पर स्थित जुजार जबरसिंह बावसी मंदिर की भूमि के सौन्दर्यीकरण को लेकर काम चल रहा था। उस दौरान जैन तीर्थंकर की प्रतिमा निकलने की जानकारी पर वह एवं समाज के गमनमल मौके पर पहुंचे। प्रतिमा खंडित थी। तीर्थंकर कछुए पर बिराजमान होने से मुनि सुव्रत स्वामी होना पाया गया। मूर्ति संग्रहालय में भिजवा दी जाएगी।
मंडार जैन संघ के अध्यक्ष भूरमल चौवटिया ने बताया कि जैन धर्म में खंडित प्रतिमा का दर्शन व पूजन निषेध है। ऐसे में प्रतिमाओं को संग्रहालय में ही रखवाया जाता है। वैसे सिरोही जिले में संग्रहालय की व्यवस्था नहीं होने से फिलहाल समाज के ही लोगों ने मौके से लाकर सुरक्षित जगह रखवाया है।
Published on:
04 Jun 2020 08:35 pm
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