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अमरसिंह राव
सिरोही. पड़ोसी जिले जालोर से लगती सीमा पर रेतीले टीलों के बीच करीब 16 साल पहले गायों के लिए बसाया गया नन्दगांव आज हरीतिमा की चादर ओढे खूबसूरत गांव बन गया है। 480 हैक्टेयर तक फैले गायों के इस गांव में रेतीले धोरे अब आहिस्ता.आहिस्ता हरियाली में बदलने लगे है। यह सब सम्भव हुआ है एक संत दत्तशरणानन्द के प्रयास से। यहां यह बताना भी जरूरी है कि इस सन्त ने हमेशा अपनी फोटो टीवी या अखबार में छापने से दूरी बनाए रखी। आज भी किसी भी कार्यक्रम के दौरान इनकी फोटो लेने की साफ मनाही है। आज ऐसे गोऋषि का सपना साकार रूप ले रहा है। इनदिनों रेवदर क्षेत्र के केसुआ ग्राम पंचायत में आने वाले नन्दगांव को राजस्व गांव बनाने की कवायद चल रही है। यदि सबकुछ ठीकठाक रहा तो आने वाले दिनों में नन्दगांव प्रदेश का पहला ऐसा गायों का गांव बन जाएगा। जहां बीमार गाय संगीतए संकीर्तन और भजन सुनती है। साल 2005 बसे इस गांव में मौजूदा समय में 10ए500 गोवंश पल रहा है।
जिले के अंतिम छोर पर आबाद नन्दगांव में बीमार गोवंश को सुबह.शाम भजन पीछे यह तर्क दिया जाता है कि भजन सुनने से मस्तिष्क एक नई ऊर्जा मिलती है जिससे बीमार पशुओं में जीने की उम्मीद जगती है और वह धीरे.धीरे स्वस्थ तक हो जाते हैं। ऐसी यहां कई बीमार गाएं होंगी जो उठ.चल नहीं पाती थीं औऱ अब दौड़ती नजर आती हैं। यह सब सम्भव हुआ है भजन के साथ अच्छे वातावरणए पौष्टिक आहार और शुद्ध जलवायु से। जैसा कि नन्दगांव में गायों की देखरेख का जिम्मा सम्भाल रहे सन्त सुमन सुलभ कहते हैं कि गायों का जंगल से नाता रहा है। नन्दगांव में खुला वातावरण मिलता है। यहां गायों की चराई के लिए छोटे.छोटे खेत बनाए गए हैं जहां रजगा.ज्वार समेत अन्य फसलें बोई जाती है और यहां खुले में गाएं स्वछंद विचरण करती हैं। यहां गर्मी से बचने के लिए गायों के लिए पंखे और कूलर लगे हुए हैं। सर्दी से बचाव के लिए टाटपतरी गर्म कपड़ा की व्यवस्था है।
यहां ग्वालों के बच्चों के लिए हिन्दी और गुरुकुल विद्यालय भी
पथमेड़ा गोशाला से जुड़े नंदगांव में गायों की सेवा में लगे ग्वालों के बच्चों के लिए आठवीं तक हिन्दी मीडियम स्कूल भी है। जहां 150 बच्चे पढ़ते हैं। इसके अलावा यहां गुरुकुल विद्यालय भी है जिसमें 11 बच्चे अध्ययनरत है। स्कूल में बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाती है। यानी कोई शुल्क नहीं लिया जाता। छात्रावास की सुविधा भी है। यहां ग्वालों के ठहरने के लिए ग्वाल आवास भी अलग से बने हुए हैं।
इनका कहना है
हमारा प्रयास है कि नंदगांव को राजस्व गांव का दर्जा मिले। इसके लिए कवायद शुरू की गई है। यदि राजस्व गांव का दर्जा मिलता है तो यह पहला गायों का राजस्व गांव बन जाएगा जहां गोमाता भजन सुनती है।
.संत सुमन सुलभ महाराजए नंदगांव
Published on:
10 Oct 2021 04:21 pm
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