
अब तो सड़क भी बिखरने लगी, जीर्णोद्वार की बाट जो रहा माउंट आबू गुलाबगंज मार्ग
माउंट आबू. पर्वतीय पर्यटन स्थल माउंट आबू को देश से जोड़ने वाला एकमात्र आबूरोड-माउंट आबू मार्ग बारिश में अवरुद्ध या बंद होने की स्थिति में माउंट आबू देश-दुनिया से कट सकता है। 1973 व 1992 में चट्टानें खिसकने से कई दिन तक मार्ग अवरूद्ध होने से काफी देसी-विदेशी पर्यटक फंस गए थे। नतीजतन लम्बी दूरी की ट्रेनों तथा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्राओं से वंचित रहने से उन्हें मानसिक, शारीरिक परेशानियों के साथ आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा था।
सत्तर के दशक में तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाडि़या के कार्यकाल में एक सड़क मार्ग पर अवरुद्ध होने में अकाल राहत कार्य के तहत वैकल्पिक मार्ग के रूप में सिरोड़ी से गुलाबगंज होते हुए माउंट आबू सड़क मार्ग विकसित करने की कवायद की। बाद में 1.34 करोड़ की लागत से कच्चा मार्ग तैयार होने पर हल्के वाहन भी गुजारे। गुलाबगंज से आबू तलहटी तक डामर सड़क बनवाई। आगे पक्का नहीं होने से कुछ दिन बाद बंद हो गया। फिर तो साल बीतते गए, वह कच्ची सड़क भी बिखरने लगी। मौजूदा समय में वैकल्पिक मार्ग नहीं होने से पर्वतीय पर्यटन का तेज बारिश या अन्य किसी कारणवश आबूरोड-माउंट मार्ग अवरुद्ध होने पर सम्पर्क कट सकता है।
इसलिए महसूस की थी जरूरत
भू-स्खलन या चट्टानें खिसकने से आबूरोड-माउंट आबू सड़क मार्ग अवरुद्ध होने, थल, वायुसेना व केरिपु बल जैसे महत्वपूर्ण संस्थान, वर्षभर आने वाले करीब 30 लाख से अधिक सैलानियों, वीवीआइपी की बढ़ती आवाजाही के मद्देनजर 70 के दशक में वैकल्पिक मार्ग की आवश्यकता महसूस हुई। जिससे जिला मुख्यालय की दूरी करीब 28 किलोमीटर कम होने वाले माउंट आबू-गुलाबगंज मार्ग को वैकल्पिक मार्ग के रूप में प्रस्तावित किया। सरकार ने केन्द्र को प्रस्ताव भी भेजे, पर केन्द्र के वन मंत्रालय के लखनऊ स्थित कार्यालय से स्वीकृति प्रदान नहीं की। करीब सात साल पहले तत्कालीन माउंट डीएफओ (वन्य जीव) ने सरकार को साफ शब्दों में रिपोर्ट दे दी कि इस मार्ग पर भालूओं के निवास का हब है, ऐसे में वैकल्पिक मार्ग को स्वीकृति देने पर वन्य-जीवों का जीवन खतरे में पड़ने की आशंका है। तभी से इस वैकल्पिक मार्ग की उम्मीदें भी दम तोड़ गई।
इनका कहना है ...
वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था नहीं होने से आपातकालीन स्थिति में नागरिकों व पर्यटकों के लिए परेशानी पैदा हो सकती है।- अशोक वर्मा, व्यवसायी, माउंट आबू
माउंट आबू-आबूरोड मार्ग मानसून के दौरान कई बार चटटानें खिसकने से अवरुद्ध हो जाता है। ऐसे में गुलाबगंज-माउंट आबू वैकल्पिक मार्ग जरूरी है।- टेकचंद भंभाणी, अध्यक्ष, भाजपा नगर मंडल, माउंट आबू
मानसून में चट्टानें खिसकने से मार्ग अवरूद्ध होने से मरीजों को बड़े अस्पताल ले जाने, दूध, सब्जी सरीखी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए गुलाबगंज-माउंट आबू मार्ग बनना जरूरी है।- देवीसिंह देवल, अध्यक्ष, नगर कांग्रेस कमेटी, माउंट आबू
Published on:
31 Jul 2022 04:32 pm
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