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राष्ट्रपति मुर्मू को सड़क मार्ग से आना पड़ सकता है माउंट

बताया जा रहा है कि पोलोग्राउण्ड पर हेलीकाप्टर उतरे ऐसी स्थिति नहीं महत्वाकांक्षी भारत माला परियोजना से महरूम पर्यटन स्थल माउंट आबू

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माउंट आबू. अक्सर बरसात के दिनों ऐसे चट्टानें गिरकर बंद होता है सड़क मार्ग। (फाइल फोटो)

माउंट आबू. अक्सर बरसात के दिनों ऐसे चट्टानें गिरकर बंद होता है सड़क मार्ग। (फाइल फोटो)

माउंट आबू. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के 11 सितम्बर को माउंट आबू के दो दिवसीय दौरे पर आगमन के सिलसिले में पोलोग्राउंड पर हेलीकाप्टर उतरने की स्थिति में नहीं होने से बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति के लिए सड़क मार्ग की वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है। बताया जा रहा है कि बारिश के दौर में पोलोग्राउण्ड ऐसी स्थिति में नहीं रहा कि वहां वीआईपी हेलीकाप्टर उतर सके।दरअसल भारतमाला परियोजना के तहत किवरली-गुरुशिखर मार्ग को अस्तित्व में लाने की योजना बनी थी। पर, परियोजना धरातल पर नहीं आने से यह सड़क मार्ग बनने की लोगों व सैलानियों की आस पूरी नहीं हुई।

इसलिए है योजना की आवश्यकता

सालभर यहां देश-विदेश के विशिष्टि व्यक्ति माउंट आते रहते हैं। आवागमन को सुविधापूर्वक बनाने व बारिश के दौरान बार-बार सड़क टूटने से होने वाली परेशानियों से बचाव को किवरली- गुरुशिखर मार्ग को अस्तित्व में लाना निहायत जरूरी है। माउंट आबू में आर्मी, एयरफोर्स स्टेशन, सीआरपीएफ की आंतरिक सुरक्षा अकादमी, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, इसरो व वीएसएफए सरीखे महत्वपूर्ण केंद्र स्थित हैं। मार्ग अवरूद्ध होने की स्थिति में इनकी मूवमेन्ट में भारी व्यवधान होने से सुरक्षा के लिहाज से भी खतरनाक साबित हो सकता है।

ब्रिटिश हुकूमत के दौरान बना था सड़क मार्ग

रियासतकाल में राजाओं-महाराजाओं के ग्रीष्मकालीन अवकाश पर माउंट आने के लिए कार्टरोड के रूप में आबूरोड-माउंट रोड को ब्रिटिश हुकूमत ने एकतरफा यातायात के लिए बनवाया था। करीब तीन दशक पूर्व इसे चौड़ा किया गया। पर, यातायात के बढ़ते दबाव से प्रस्तावित भारत माला परियोजना के तहत किवरली-गुरुशिखर मार्ग को मूर्त रूप देने के लिए केन्द्र सरकार ने आस्थास्थलों को राजमार्ग से जोडऩे की कवायद शुरू कर दी। जिसका कार्य अंतिम चरण में पहुंचा ही था कि इस सड़क को किवरली की बजाए आबूरोड से गुरुशिखर तक लाने की मांग पर कवायद रूक गई। तब से यह अधरझूल में ही लटक रहा है।

इनका कहना है

प्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कार्यकाल में केंद्र ने इस योजना को अस्तित्व में लाने के लिए लम्बी कवायद की थी। पर, मौजूदा सरकार जनहित के कार्यों में कोई रूचि नहीं ले रही। मैंने इस मुद्दे का विधानसभा में भी उठाया था, पर कुछ खास नहीं हुआ।

- समाराम गरासिया, विधायक, पिण्डवाड़ा-आबू