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Rajasthan News : विकास से कोसों दूर शेरगांव ने आज तक नहीं देखा प्रत्याशी का चेहरा

Rajasthan News : चुनाव नजदीक आते ही चुनावी रण में भाग्य आजमा रहे प्रत्याशी भरपूर विकास का भरोसा देते हैं, लेकिन कई जगह विकास तो दूर, आज तक जरा भी हालात नहीं बदले हैं।

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Rajasthan News : चुनाव नजदीक आते ही चुनावी रण में भाग्य आजमा रहे प्रत्याशी भरपूर विकास का भरोसा देते हैं, लेकिन कई जगह विकास तो दूर, आज तक जरा भी हालात नहीं बदले हैं। अरावली पर्वत शृंखला के सर्वाधिक ऊंचाई पर बसे पर्यटन स्थल माउंट आबू का शेरगांव आजादी के बाद भी विकास से कोसों दूर है। माउंट आबू से करीब 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित शेरगांव के लिए 16 किमी. का मोटरमार्ग तय कर गुरूशिखर, उतरज से होते हुए करीब 20 किमी. दुर्गम घाटियों के मध्य संकरी पगंडडियों के पैदल मार्ग की दूरी पर बसे शेरगांव के नागरिक वैज्ञानिक प्रगति के इस दौर में भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है।

वोट देते हैं, लेकिन आज तक नहीं देखा प्रत्याशी
यहां के लोगों ने बताया कि शेरगांव के मतदाता लोकतंत्र के उत्सव में मतदान कर अपने कर्तव्य का निर्वहन करते आ रहे हैं, लेकिन किसी भी प्रत्याशी को आज तक गांव में नहीं देखा। लोकसभा व विधानसभा के चुनावों के लिए दो दिन व एक रात का समय निकालकर ग्राम पंचायत मुयालय ओरिया पर मतदान के लिए आना पड़ता था। कुछ वर्षों पूर्व उतरज में मतदान केंद्र स्थापित होने से यह दूरी कम हुई। जिससे समय व श्रम की भी बचत हुई। इस बार गांव के बाशिंदे मतदान के लिए खासे उत्साहित हैं, क्योंकि आजादी के बाद पहली बार गांव में ही पोलिंग बूथ बनाया गया है। जहां उन्हें मतदान का अवसर मिलेगा। फिर भी मतदाताओं को मलाल है कि आज तक उनके गांव में जीत के बाद तो दूर, वोट मांगने भी कोई प्रत्याशी नहीं पहुंचता। इसलिए गांव आज भी विकास से कोसों दूर है।

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जीवनकाल में नहीं देखी रेल
कुछ ही वर्ष पूर्व तक गांव में कई ऐसे बुजुर्ग लोग मौजूद थे, जिन्होंने अपने जीवनकाल में रेल नहीं देखी। अधिकांशत: लोग ऐसे थे, जो रेल में बैठे बिना ही जिंदगी से रूखसत हो गए।

दिवास्वप्न से कम नहीं आधुनिक सुविधाएं
सड़क, चिकित्सा, टेलीफोन, दूरदर्शन, बिजली, रोजगार, अन्य प्रशासनिक सुविधाएं प्राप्त करना शेरगांव के बाशिन्दों के लिए अभी तक किसी दिवास्वप्न से कम नहीं हैं। जिला कलक्टर डॉ. भंवरलाल के प्रयास से इस बार गांव में पोलिंग बूथ स्थापित होने से गांव में बिजली पहुंचने व अन्य सुविधाएं मुहैया होने की आस बंधी है। बहरहाल देखना होगा कि कब तक उनकी उम्मीदों का सकारात्मक परिणाम सामने आता है।

बीमार को ऐसे पहुंचाते हैं अस्पताल
सामान्य चिकित्सा सुविधा के लिए गांव के लोगों को माउंट आबू आना पड़ता है। गंभीर हालत होने पर बीमार को खाट में डालकर 8-10 लोगों को उठाकर लाना पड़ता है। जिससे दुर्गम पहाडिय़ों की संकरी पगडंडियों से गुजरते हुए मार्ग पर लेकर चलना अत्यंत जोखिम भरा है। खाट उठाने वालों में से किसी एक का पांव जरा सा फिसलने या खाट के किसी पहाड़ी चट्टान से टकरा जाने की स्थिति में व्याधिग्रस्त समेत सभी की गहरी खाई में गिरने का खतरा बना रहता है। कष्टसाध्य मार्ग को देख कई बार लोग उपचार के अभाव में असमय ही मौत के मुंह में समा जाते हैं।

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बिजली, पानी, चिकित्सा, शिक्षा व अन्य मूलभूत सुविधाओं के अभाव में कई पीढिय़ां गुजर चुकी हैं। जिससे गांव के कष्टकर जीवनशैली से लोग ऊब चुके हैं। आधुनिक युग में युवाओं का गांव से मोह भंग होता जा रहा है। यदि इस ओर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो पुरखों की ओर से बसाए गए इस गांव का इतिहास केवल कागजी पन्नों तक सीमित रह जाएगा। आजादी के बाद भी गांव के विकास पर किसी का ध्यान नहीं है।
देवी सिंह, शेरगांव


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