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मंडार (सिरोही). सिरोही के पूर्व राजघराने के तेजरामसिंह देवड़ा के द्वितीय पुत्र महावीरसिंह देवड़़़़़ा ने कहा है कि हम राम के वंशज नहीं है बल्कि देवड़ा चौहान अग्नि वंश के हैं और इसके प्रमाण राव-बडुआजी के चौपड़ों में भी मिलते हैं। आबू गोमुख के अग्नि कुण्ड से चह्वाण(चौहान), प्रतिहार, पंवार और चालुक्य(सोलंकी) की उत्पति के प्रमाण है जो आज भी विद्यमान है। जबकि इससे पहले सिरोही पूर्व राजघराने के ही पद्मश्री रघुवीरसिंह देवड़ा ने राम का वंशज होने का दावा किया था और कहा था कि हमारे पास 100 वंशजों की सूची तक है। उन्होंने यह भी कहा कि राम ने 12000 साल तक शासन किया था। पूर्व राजघराने के जुड़े सदस्यों में वंशज को लेकर विरोधाभास सामने आया है। पूर्व राजघराने के महावीरङ्क्षसह देवड़ा ने बताया कि उनके पिता का रियासत काल में राज्याभिषेक हुआ था। सिरोही स्टेट के पूर्व नरेश स्वरूपरामसिंह देवड़ा के बाद उनके पिता तेजरामसिंह देवड़ा को सिरोही की गादी पर आसीन किया गया था। उनके नाम से निकले चांदी के सिक्के और स्टॉम्प आज भी लोगोंं के पास है।
देवड़ा ने बताया उनके वंश को लेकर उन्होंने राव बडुआजी से भी जानकारी ली। उनके वंश की उत्पत्ति आबू के अग्नि कुण्ड से ही होने से वे अग्नि वंश के हैं। इसके उनके पास प्रमाण हैं।
बडग़ांव निवासी राव विजयराज बडुआजी ने बताया चौहान से बाद में देवड़ा हुए जो अग्निवंश के हैं। जिनकी कुलदेवी मूल शाकम्भरी जिसकी स्थापना माणिक राजा ने विक्रम संवत् 741 में तथा आशापुरा की राव लाखणसी ने 1022 में की थी। आज भी देवडा चौहानों का गुरु वशिष्ठ को माना जाता है। त्रेता युग में परसुराम ने क्षत्रियों को धरती से नष्ट कर दिया था। रक्षार्थ आबू गोमुख पर अग्नि कुण्ड से उनकी उत्पत्ति होने से वे अग्नि वंश के कहलाए। मंडार व बडग़ांव में पठानों का राज्य था। जालोर से राव लुणाजी व लुम्भाजी ने बडग़ांव व मंडार में पठानों को परास्त कर जीता था। उस दौरान सिरोही की स्थापना ही नहीं हुई थी। चौहान कुल कुल्पद्रप में भी चौहानों के अग्नि वंश होने के प्रमाण है। उनके पास पूरे प्रमाण पुराने हस्त लिखित चौपडों में भी वर्णित है जो उनके पूर्वजों ने लिखे हैं।
Published on:
31 Aug 2019 09:52 am
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