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रियासतकालीन बावड़ी के सहारे बना दिया कॉम्पलेक्स और खोल दी खिड़कियां और हवा द्वार!

सरकार की जय हो...कॉमर्शियल बिल्डिंग के निर्माण में रियासतकालीन बावड़ी तक को नहीं बख्शा, नियम-कायदों के साथ मास्टर प्लान भी नजरअंदाज, न सेटबैक छोड़ा, ना पार्किंग के लिए जगह

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सिरोही. सरजावाव बावड़ी से सटकर हो रहा निर्माण।

सिरोही. सरजावाव बावड़ी से सटकर हो रहा निर्माण।

सिरोही. शहर में अधिकतर व्यावसायिक व आवासीय निर्माण कार्यों में नियम-कायदों को ताक पर रखने का खेल लगातार जारी है। शहर के केन्द्रीय बस स्टैण्ड से महज फर्लांगभर की दूरी पर ही एक कॉमर्शियल बिल्डिंग के निर्माण में रियासतकालीन पेयजल स्रोत की पुरातन बावड़ी को भी नहीं बख्शा गया। मास्टरप्लान तक की अनदेखी करते हुए बावड़ी के सहारे कॉम्पलेक्स खड़ा कर दिया गया और बावड़ी की तरफ बड़ी संख्या में खिड़कियां तक खोल दी। यहां नियम के तहत 60 फीट चौड़ी सड़क तक नहीं है। करीब 20 फीट सड़क पर ही कॉमर्शियल बिल्डिंग के निर्माण में न सेटबैक छोड़ा गया ना ही पार्किंग के लिए जगह। लेकिन यह कमियां नगरपरिषद को नजर नहीं आई और उनकी आंखों के सामने कॉम्पलेक्स बन गया।

पूर्व पार्षद जगदीश सैन आरोप लगाते हैं कि साठगांठ नहीं होती तो ऐतिहासिक सरजावाव बावड़ी से सटकर कॉमर्शियल बिल्डिंग नहीं बनती। क्यों कि साल 2004 में अब्दुल रहमान-स्टेट के फैसले में साफ बताया गया है कि प्राकृतिक स्त्रोत रियासतकालीन नदी-नाले, बावड़ी या कुएं के आसपास किसी प्रकार का निर्माण नहीं सकते। फिर यहां कैसे कर दिया? सैन ने कहा कि विधायक संयम लोढा ने विधानसभा में मास्टर प्लान की अवहेलना का मामला उठाया है। उनसे अपेक्षा कि जाती है वे इसकी शुरूआत अपने क्षेत्र सिरोही से कर आमजन को राहत दिलाएं।

कभी 16 नल लगे थे, अब काम्पलेक्स और दुकानें खड़ी हो गई....

जानकार बताते हैं कि तीन दशक पहले सरजाबाव बावड़ी से शहरवासी हलक तर करते थे। उस समय इस बावड़ी के दीवार के सहारे एक टांका था और उसपर 16 नल लगे हुए थे । मोटर के जरिए टांके में बावड़ी का मीठा पानी भरा जाता था और फिर इन नलों से निकलने वाला बावड़ी का मीठा पानी शहरवासी पीने के लिए ले जाते थे। लेकिन अब यहां कॉम्पलेक्स और दुकानें खड़ी हो गई। अब यहां से 16 नल और टांका तक गायब है। उसके अवशेष तक देखने तक को नहीं है।

न सेटबैक छोड़ा, ना ही पार्किंग बनाया

जानकार बताते हैं कि बावड़ी से सटकर जो कॉमर्शियल बिल्डिंग बनाई गई है, उसमें सेटबैक को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया है। आप फोटो में देखेंगे तो पीछे की दीवार बावड़ी से बिल्कुल सटी हुई नजर आएगी। फं्रट सेटबैक की भी पूरी तरह अनदेखी की गई है। बावड़ी की तरफ छह से अधिक खिड़कियां खोली गई है साथ ही बड़े-बड़े हवा द्वार भी छोड़े गए हैं। ताकि यहां बिल्डिंग का कचरा डालकर बावडी को प्रदूषित किया जा सके। निर्माण से सम्बंधित अन्य नियमों के साथ मास्टरप्लान की भी पूरी तरह अनदेखी की गई है। कॉम्पलेक्स में अत्यावश्यक पार्किंग की सुविधा का तो कहीं अता-पता ही नहीं है। नगर परिषद प्रशासन की शह के बिना ऐसे कैसे हो सकता है।

महज फर्लांगभर की दूरी पर कंट्रोलिंग अथॉरिटी

दिलचस्प बात तो यह है कि यह जो कॉमर्शियल बिल्डिंग बन रही है, उससे महज फर्लांग भर की दूरी पर ही शहर में निर्माण की गतिविधियों को कंट्रोल करने वाली अथॉरिटी नगर परिषद का कार्यालय है। पर, इस बिल्डिंग को देखकर यूं लग रहा है कि नगर परिषद का कार्यालय है तो भी बिल्डर ने अपनी मनमर्जी से ही कार्य कर दिया तो इसके पास में स्थित होने का कोई मतलब ही नहीं निकला। यह काम्पलेक्स जिस केन्द्रीय बस स्टैण्ड रोड पर स्थित है, वह शहर के प्रमुख मार्गों में शुमार है, लेकिन नगर परिषद ने इस रोड पर निर्माणाधीन बिल्डिंग की ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया।

इन्होंने कहा...

यहां तो पहले से दुकान बनी हुई थी। उस पर ही अनुमति लेकर निर्माण करवाया होगा। बावड़ी की तरफ खिड़कियां या हवाद्वार खोले हैं तो इसे हम तत्काल बंद करवा देंगे।-महेन्द्रसिंह चौधरी, आयुक्त, नगरपरिषद, सिरोही

...और एटीपी ने फोन उठाया ही नहीं

नगरपरिषद में एटीपी पवन शर्मा ने बताया कि सिरोही में मैं अभी नया-नया हूं। मामले के बारे में पता करवाता हूं। हमने कहा आप पता करवाइए थोड़ी देर बाद कॉल करते हैं। इसके बाद जब उनको फोन किया तो उन्होंने कहा कि बिल्डिंग तो सही बनी है। हमने कहा कि जिस कॉम्पलेक्स के लिए जोधपुर के वरिष्ठ नगर नियोजक तक ने सहमति नहीं दी। उसे आपने कैसे अनुमति दे दी। तो उन्होंने कहा कि इंजीनियर जो रिपोर्ट दी उसी के आधार पर फाइल चली। वैसे मैं अभी मौके पर जाकर देखता हूं। उसके बाद आपको बताता हूं। इसके एक घंटे बाद थोड़ी-थोड़ी अंतराल में हमने तीन बार फोन किया लेकिन उन्होंने रिसीव नहीं किया।