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‘पत्रिका टीम ने किया शहर का दौरा, खुलकर बोले मतदाता…यहां हर काम के लिए कमीशन तय होता है… हमें कमीशनखोर नेता नहीं चाहिए…

सिरोही. यहां नगरपरिषद के वार्डों के चुनाव को लेकर चल रहा घमासान अंतिम चरण में पहुंच गया है।

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'पत्रिका टीम ने किया शहर का दौरा, खुलकर बोले मतदाता...यहां हर काम के लिए कमीशन तय होता है... हमें कमीशनखोर नेता नहीं चाहिए...

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सिरोही. यहां नगरपरिषद के वार्डों के चुनाव को लेकर चल रहा घमासान अंतिम चरण में पहुंच गया है। गुरुवार शाम पांच बजे भौंपू प्रचार तक थम गया। इस दौरान दोनों ही दलों की ओर से भांत-भांत के दावे किए गए। आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए। इस बीच मतदाता के मन में क्या चल रहा है? वार्ड का नेता कैसा हो? उसको लेकर वोटर की क्या सोच है। कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब जानने के लिए हमने शाम को शहर का भ्रमण किया। मतदाता बोले- यहां हर काम में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। हमें ऐसे कमीशनखोर नेता नहीं चाहिए? इस दौरान वोटरों ने भी मन में छिपी बातें जाहिर करने से कोई गुरेज नहीं किया।
हम सबसे पहले गोयली चौराहे की तरफ निकले। वहां एक थड़ी पर सात-आठ लोग बैठे नजर आए। हमने पूछा कि इस बार चुनाव को लेकर क्या चल रहा है? वहां बैठे युवा राकेशकुमार का कहना था कि शहर के विकास को लेकर कोई काम नहीं होता, जब भी वोट का समय आता है, बड़े-बड़े वादे कर दिए जाते हैं लेकिन उस पर कोई अमल नहीं करता। यदि विकास के बारे में सोचते तो सिरोही में कब की सीवरेज लाइन बिछ गई होती। आप ही देखिए... यदि सही मायने में काम किया होता तो पांच से सात साल की गारंटी वाली सड़कें चार-पांच महीनों में नहीं टूटतीं। पास ही बैठे रणछोड़ भाई बोले- गोयली चौराहे से विजयपताका तक सड़क अभी कुछ माह पहले ही बनाई थी और पहली बारिश में ही बिखर गई। यह भ्रष्टाचार की सड़क नहीं तो क्या है?
इसके बाद हम बाजार और उसकी गलियों से गुजरते हुए पुराना बस स्टैण्ड स्थित एक थड़ी के पास पहुंचे। वहां खड़े सोहनङ्क्षसह ने कहा कि सबको पता है... निकाय में बिना कमीशन के कोई काम नहीं होता। हर काम का अलग कमीशन तय है... नेता तो नेता अफसर भी बटोरने से नहीं चूकते? हमें ऐसे कमीशनखोर नहीं चाहिए। बुुजुर्ग मोहन भाई यहां तक कह गए कि कभी व्यक्तिगत हितों को तवज्जो नहीं देनी चाहिए...निकाय में किसको लगाना है... किसको हटाना है... कौनसा काम कब करना है? कौन करेगा? यह सब नेताओं के इशारे पर होता है। हर छोटे-मोटे काम में बराबर का दखल होता है? नेताओं की शह पर छुटभैए ठेकेदार ही माप-तौल और कमीशन तय करते हैं। हमें ऐसे नेता नहीं चाहिए? हमें सिर्फ काम कराने वाला नेता चाहिए। पास ही बैठे दिनेश कहते हैं कि निकाय में विकास के मद में करोड़ों रुपए आते हैं। यदि इसे ईमानदारी से खर्च किया जाता तो अब तक यह शहर चण्डीगढ़ की तरह चमन हो जाता। हमें इस बार सिर्फ और सिर्फ ईमानदार नेता चाहिए।