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भगवान ​शिव को दूल्हा मान 450 दुल्हनों ने रचाया विवाह, राजस्थान में हुए इस अनोखे विवाह के साक्षी बने 15 हजार बाराती

दुल्हनों ने खुशी में किया डांस, माता-पिता के खुशी से छलके आंसू, ब्रह्माकुमारी संस्थान आबूरोड के शांति वन में हुआ आयोजन

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भगवान ​शिव को दूल्हा मान 450 दुल्हनों ने रचाया विवाह, राजस्थान में हुए इस अनोखे विवाह के साक्षी बने 15 हजार बाराती

भगवान ​शिव को दूल्हा मान 450 दुल्हनों ने रचाया विवाह, राजस्थान में हुए इस अनोखे विवाह के साक्षी बने 15 हजार बाराती

Unique marriage in Rajasthanसिरोही/आबूरोड. ब्रह्माकुमारी संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन में आयोजित समर्पण समारोह में पहली बार एक साथ देशभर की 450 युवतियों का दिव्य विवाह हुआ। विवाह में 450 दुल्हनों ने परमात्मा शिव को दूल्हे के रूप में अपनाया। इन दुल्हनों में सीए, डॉक्टर, इंजीनियर, एमटेक, एमएससी, फैशन डिजाइनर, स्कूल शिक्षिका भी शामिल थीं।

समारोह में उपस्थित 15 हजार लोग बाराती के रूप में दिव्य विवाह के साक्षी बने। सभी 450 बेटियों ने शिव को वर मान कर स्वयं को परमात्मा को समर्पित कर संयम का मार्ग अपनाया। इस दौरान खुशी में भावुक माता-पिता ने कहा कि उनका जीवन धन्य हो गया। परमात्मा से यहीं कामना है कि हर जन्म में ऐसी शक्ति स्वरूपा, कुल उद्धार करने वाली बेटी मिले।

संस्थान के इतिहास में पहली बार एक साथ 450 बेटियों ने ब्रह्मचर्य व्रत धारण कर ब्रह्माकुमारी के रूप में आजीवन समाजसेवा का संकल्प लिया। इन बेटियों को खुशी में नाचते देख हर कोई भावुक हो उठा। समारोह में बेटियों के माता-पिता ने अपनी-अपनी लाड़लियों का हाथ संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी, संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी मुन्नी दीदी, राजयोगिनी संतोष दीदी के हाथों में सौंपा।


अलसुबह 3.30 बजे से शुरू हुई बहनों की दिनचर्या
परमात्मा को अपना जीवन समर्पण करने वाली सभी बहनों की पहले दिन की दिनचर्या अलसुबह ब्रह्ममुहूर्त में 3.30 बजे से शुरू हुई। सबसे पहले सभी बहनों ने परमपिता शिव परमात्मा, शिव बाबा का एक घंटे ध्यान किया। इसके बाद सुबह 7 बजे से आठ बजे तक सत्संग (मुरली क्लास) में भाग लिया। शाम को दिव्य अलौकिक समर्पण समारोह में मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। समारोह में संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मुन्नी दीदी ने कहा कि आज एक साथ इतनी बहनों का समर्पण देखकर मन खुशी से झूम रहा है। ये बेटियां बहुत भाग्यशाली हैं।

महासचिव बीके निर्वैर भाई ने कहा कि सभी बहनें जीवन में अपने कर्मों से समाज में नए उदाहरण प्रस्तुत करें। अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन भाई ने कहा कि अपना जीवन परमात्मा पर अर्पण करने से बड़ा भाग्य कुछ नहीं हो सकता है। कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय ने कहा कि आपकी वाणी दुनिया के कल्याण का माध्यम बने। आपका एक-एक कर्म उदाहरणमूर्त हो। मधुरवाणी ग्रुप के कलाकारों ने गीत व कटक के कलाकारों ने विभिन्न नृत्यों की प्रस्तुति दी।


चुनरी, माला पहनकर दुल्हन की तरह सजीं बहनें
सभी 450 बहनें श्वेत वस्त्रों में चुनरी ओढक़र, माला पहनकर, बिंदी के साथ सज-धजकर पहुंची। ब्रह्माकुमारीज से जुडऩे की शुरुआत राजयोग मेडिटेशन के सात दिवसीय कोर्स से होती है। जो संस्थान के देश-विदेश में स्थित सेवा केंद्रों पर नि:शुल्क सिखाया जाता है। राजयोग ध्यान ब्रह्माकुमारीज की शिक्षा का मुख्य आधार है। राजयोग मेडिटेशन कोर्स के बाद छह माह तक नियमित सत्संग, राजयोग ध्यान के अभ्यास के बाद सेंटर इंचार्ज की ओर से सेवाकेंद्र पर रहने की अनुमति दी जाती है। तीन साल तक सेवा केंद्र पर रहने के दौरान संस्थान की दिनचर्या व गाइडलाइन का पालन करना जरूरी होता है। इसके बाद ट्रायल के लिए मुख्यालय शांतिवन के लिए माता-पिता का अनुमति पत्र भेजा जाता है। ट्रायल पीरियड के दो साल बाद ब्रह्माकुमारी के रूप में समर्पण की प्रक्रिया पूरी की जाती है।


अब तक 50 हजार ब्रह्माकुमारी बहनें विश्वभर में समर्पित

वर्ष-1937 में ब्रह्माकुमारीज की स्थापना से अब तक 87 वर्ष में संस्थान में 50 हजार ब्रह्माकुमारी ने अपना जीवन मानव सेवा के लिए समर्पित किया है। संस्थान ने संपूर्ण भारतवर्ष को 12 विभिन्न जोन में बांटा गया है। इन जोन में एक मुख्य निदेशिका और फिर स्थानीय सेवा केंद्र में जिला स्तर पर मुख्य निदेशिका होती हैं जो अपने-अपने जिलों में सेवाएं देती हैं। शुरुआत में नई बहनें, बड़ी बहनों के मार्गदर्शन में रहती हैं। फिर उन्हें नया सेवा केंद्र खोलने की अनुमति प्रदान की जाती है। जिस सेवा स्थान से यह बहनें आती हैं, वहीं पर ही वह समर्पण होने के बाद अपनी सेवाएं देती हैं।