सिरोही. साहित्य रचने की प्रक्रिया आसान नहीं है। अपनी रचना में हम स्वयं कहीं न कहीं से गुजरते हैं। स्वयं के साक्षात्का र की इस प्रक्रिया में पुस्तेकें हमारी मददगार होती हैं। अपनी रचनाओं से परिचय कराने के साथ उन्हों ने अपने अनुभव भी साझा किये कि किन परिस्थितियों में उन्होंाने लिखना शुरू किया और ये रचनाएं सामने आईं। एक बात पर सभी सहमत थे कि लिखने से पहले पढ़ना जरूरी है और इसके लिये हमें बच्चोंे में बोलने एवं सुनने का हुनर विकसित करना होगा। इन सबमें पुस्तीकों की अहम भूमिका है। जिला मुख्यानलय स्थित श्री सारणेश्वसर जिला सार्वजनिक पुस्तहकालय परिसर में आयोजित अपने रचनाकारों से संवाद कार्यक्रम में खुशनुमा माहौल में रचना प्रक्रिया पर काफी अच्छीर बातचीत हुई। अजीम प्रेमजी फाउंडेशन एवं भाषा एवं पुस्त कालय विभाग के संयुक्तच प्रयास से पुस्त।कालय परिसर में सात दिवसीय पुस्तषक मेले का आयोजन किया गया हैए जिसमें दूसरे दिन संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया।