सोनभद्र जिले में वहां मौजूद औद्योगिक इकाइयां प्रदूषण का मुख्य कारण हैं। ये सोनभद्र के पर्यावरण को लगातार जहरीला बना रही हैं। एनजीटी ने इसको रोकने के लिये इकाइयों को निर्देशों का पालन करने को लेकर चेताया था। बावजूद इसके नियमों का उल्लंघन हो रहा था। औद्योगिक फैक्ट्रियां कई गुना जहरीला पारा उत्सर्जित कर रही हैं। इस मामले को लेकर अश्विनी दुबे नाम के एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल किया। न्यायालय ने इसकी जांच के लिये सीपीबीसी और आईआईटी कानपुर के एक-एक प्रतिनिधियों की एक समिति गठित की। ग्रासिम इंडस्ट्रीज ने कोर्ट की ओर से हानिकारक अपशिष्ट को 2016 में कहीं और शिफ्ट करने के आदेश का भी पालन नहीं किया। इसके बाद 28 अगस्त 2018 को आदेश के खिलाफ दाखिल की गयी रिव्यू पेटिशन पर सुनवायी हुई।
बताते चलें कि ग्रासिम प्राइवेट कंपनी जो पूर्व में कनोडिया केमिकल्स कहलाती थी, इससे निकलने वाले प्रदूषण के चलते लोगों की हडि्डयां टेढ़ी हो रही हैं। बावजूद इसके इंडस्ट्री लगातार नियमों की अवहेलना करते हुए फैक्ट्री से निकला गंदा पानी नालों में बहाना बंद नहीं किया।
By Santosh