
अलवर। दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे के निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल खड़े होने लगे हैं। एक साल में ही एक्सप्रेस-वे की सड़क उधड़ने लगी है। दिल्ली से लेकर दौसा तक बीच-बीच में कई जगह सड़क क्षतिग्रस्त हो चुकी है, जिसके कारण यहां हादसों का खतरा ज्यादा बढ़ गया है। आठ लेन के दिल्ली-मुम्बई एक्सेस कंट्रोल्ड ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे के दिल्ली-अलवर-दौसा-लालसोट खंड का 12 फरवरी 2023 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उद्घाटन किया था। लेकिन एक साल के भीतर ही अलवर के राजगढ़ और हरियाणा के नूह क्षेत्र में सड़क उधड़ने लग गई है। हालांकि एनएचएआई ने इन दोनों जगह पर ही सड़क की मरम्मत के लिए काम शुरू कर दिया है, लेकिन एक साल में ही सड़क क्षतिग्रस्त होना निर्माण कार्य की गुणवत्ता को कठघरे में खड़ा करता है। केन्द्र सरकार की ओर से 12 हजार 173 करोड़ रुपए की लागत से दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे का निर्माण कराया जा रहा है। एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्य का जिम्मा नेशनल हाइवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) के पास है।
अब तक 100 से ज्यादा मौतें
दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे वाहनों की अधिकतम निर्धारित गति सीमा 120 किलोमीटर प्रति घंटा है, लेकिन यहां सर्विलांस सिस्टम कमजोर होने के कारण वाहन 150 से 200 किमी प्रति घंटा की ओवर स्पीड में दौड़ रहे हैं, जिसके चलते यह मौत का हाइवे बन चुका है। करीब एक साल में अलवर सीमा में ही यहां सड़क हादसों में 100 से ज्यादा लोगों की मौतें हो चुकी हैं। अब सड़क कई जगह क्षतिग्रस्त होने से हादसों का खतरा और बढ़ गया है।
एक्सप्रेस-वे की फैक्ट फाइल
कुल लम्बाई - 1382 किमी
कुल लागत - 12173 करोड़ रुपए
अलवर जिले में दूरी - 67 किमी
इंटरचेंज - शीतल व पिनान अधिकतम
गति सीमा - 120 किमी प्रति घंटा
एक्सप्रेस-वे की चौड़ाई - 8 लेन
निर्माण एजेन्सी - एनएचएआई
Published on:
29 Apr 2024 11:00 pm
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