
नई दिल्ली। हिंदू धर्म में भगवान कृष्ण का एक अहम स्थान है। संसार के समस्त दुखों और परेशानियों को दूर करने के लिए उन्होनें हर युग में एक इंसान के रूप में जन्म लिया। द्वापर युग में उन्होनें कई भूमिकाओं का पालन किया। कभी सुदामा के सच्चे मित्र बनें तो कभी अर्जुन के गुरू बनें, कभी एक चतुर राजनीतिज्ञ, कभी प्रेमी और कभी एक मार्गदर्शक, इन सभी भूमिकाओं का उन्होनें बेहद बखूबी पालन किया जिसका जिक्र आज भी किया जाता है। आज भी जन्माष्टमी अर्थात उनके जन्म के पर्व को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। होली का त्यौहार भी उनको ही समर्पित है।
हमारी जिंदगी की ओतप्रोत से भगवान श्रीकृष्ण जुड़े हुए है। हम जानते हैं कि महाभारत के युद्ध के बीच में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को एक गुरू के तौर पर कई उपदेश दिए थे और उन सभी का उन्होंने काफी अच्छे से व्याख्या भी किया था। इन सभी श्लोकों का वर्णन हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ गीता में है लेकिन क्या उन्होनें इन सभी उपदेशों का वर्णन करते समय वक्त को स्थिर कर दिया था? क्या वाकई में दुनिया उस वक्त ठहर गई थी?
तो इसका जवाब ये है कि श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए ये सारी बातें सीधे अर्जुन के दिमाग तक पहुंच रही थी और हमें ज्य़ादा लगने वाली ये उपदेश महज़ चंद सेकेंडो का मामला था और ऐसा करना केवल कृष्ण के द्वारा ही संभव था क्योंकि वो सृष्टिकर्ता है, वो सर्वशक्तिमान है। उनके लिए सबकुछ संभव है। कुरूक्षेत्र के मैदान में अधर्म पर धर्म की जीत के लिए और पांडवों की विजय को सुनिश्चित करने के लिए श्रीकृष्ण अर्जुन के सारथी बन गए और उन्होंने युद्ध भूमि में अर्जुन का मार्गदर्शन किया।
युद्ध भूमि में जब कृष्ण ने देखा कि अर्जुन अपने भाइयों से लडऩे में हिचकिचा रहा है तक कृष्ण ने श्लोकों के माध्यम से अर्जुन के आंतरिक चेतना से बातें कर उसे समझाया और युद्ध के लिए प्रेरित किया। कृष्ण से अर्जुन से कहा कि जैसा मैं कह रहा हूं वैसा करो, ये समपूर्ण सृष्टि की चालना मैं करता हूं। तुम महज़ एक ज़रिया हो बाकी जो यहां होगा उसका निर्धारण पहले ही हो चुका है।
जीवन के प्रत्येक चरण से संबंधित बातें और उन बातों के बारे में सम्पूर्ण व्याख्या पवित्र धार्मिक ग्रंथ में वर्णित है और हर इंसान को अपने जीवनकाल में इसका पाठ अवश्य रूप से करना चाहिए।
Updated on:
22 Feb 2018 10:11 am
Published on:
21 Feb 2018 05:56 pm
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