
Divorce can make Your Child Negative
एक दौर था, जब शादी समाज का सबसे पवित्र संस्कार मानी जाती थी और पति-पत्नी दोनों ही एक-दूसरे के साथ सात जन्मों के साथ की कामना करते थे। किंतु पिछले पचास साल में भारतीय समाज में शादी को लेकर मानसिकता में तेजी से बदलाव आया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2010- 2014 के बीच मुंबई में तलाक के केस दो गुना से अधिक बढ़ गए, जबकि कोलकता में 2003-2014 के बीच तलाक के केस तीन से चार गुना के बीच बढ़ गए। लखनऊ में 2009-2014 के बीच इसमें तीन गुना वृद्धि हुई। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि जब दिन-ब-दिन परिस्थितियां दूभर होती जाएं, तो अलग हो जाना बेहतर है। लेकिन उन परिस्थितियों में दंपत्ति को अपने बच्चों की मानसिक स्थिति के बारे में जरूर सोच विचार-कर लेना चाहिए। अध्ययनों के मुताबिक तलाक का बच्चे के मन पर गहरा असर पड़ता है और इसका प्रभाव पूरी उम्र उसके मन और सामाजिक रिश्तों पर पड़ सकता है।
मानसिकता पर प्रभाव
माता-पिता के बीच हुए अलगाव का असर सबसे ज्यादा उनके बच्चों पर ही होता है और कई बार यह प्रभाव बड़ा विध्वंसक होता है। छोटे बच्चों में माता-पिता के प्रति खीज, गुस्सा और शक आने लगता है जो बच्चा अभी बोलता नहीं है उसमें भी एक डर समा जाता है बच्चा अपनी मां से चिपका रहना चाहेगा, उसको छूते रहना, पीछे-पीछे लगे रहना, चिपककर सोना, कपडे पकडक़र सोना जैसी हरकतें करने लगेगा जो पहले नहीं करता था।
--स्टडी--
छोटे बच्चों के लिए घातक
एक शोध में पाया गया कि अपेक्षाकृत छोटे बच्चों की शिक्षा और उनकी मनोस्थिति पर इसका अधिक असर पड़ता है। कनाडा के अल्बर्टा और मानितोबा विवि की ओर से किए गए शोध में चेतावनी दी गई है कि दंपतियों को तलाक का निर्णय लेते समय अपने बच्चों की शिक्षा और उनके शेष जीवन पर इसके प्रभाव के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए।
स्वास्थ्य पर भी बुरा असर
तलाक का असर आपके बच्चे के शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है। द प्रोसीडिंग ऑफ द नेशनल अकेडमी ऑफ साइंस नाम की एक स्टडी के अनुसार शारीरिक स्वास्थ्य का बुरा असर बच्चों की युवा अवस्था पर भी पड़ सकता है। रिर्पोट के अनुसार परिवार में अगर शुरुआत में झगड़े हो तो बच्चों के इम्यून सिस्टम पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता है।
-- ये करें --
बच्चे से बात करें
हो सकता है बच्चा तलाक को लेकर भावनाएं जाहिर ना करें। हो सकता है उसे अंदरूनी आघात पहुंचा हो। इसलिए उसकी बातों को सुनें। वो बात नहीं भी करना चाह रहा है, तब उनकी पेंटिंग या अन्य संकेतों से इसे समझा जा सकता है।
मजबूत सपोर्ट बनें
ये जरूरी है कि आपका बच्चे के साथ एक मजबूत नेटवर्क हो। उनके दोस्तों, शिक्षकों, और ग्रैंड पैरेंट्स की मदद लें। जरूरी है कि इस उम्र में आपके बच्चे के रोल मॉडल भी हों। तलाक के बाद बच्चे के लिए ये सब बहुत जरूरी है। हो सकता है कि वो बात करने से इनकार कर दे क्योंकि वो खुद को इसका जिम्मेदार मान रहा हो। इसलिए उनके पास कोई हो जिसे वो अपनी भावनाओं और विचारों के बारे में बता सके।
एक्सपर्ट व्यू...
तलाकशुदा दंपति के बच्चे अति प्रतिक्रियावादी हो जाते हैं, उनमे खतरनाक स्तर तक गुस्सा, नफरत, चिड़चिड़ाहट घर कर जाती है। उनका आत्मसम्मान चोटिल होता है, और आत्मविश्वास धूमिल हो जाता है। कारणों को समझे बिना वे माता-पिता के इस कदम के प्रति अपमानजनक सोच रखते हैं, और कई बार खुद को इसका कारण समझते हैं।
-नियति धवन, मनोचिकित्सक
कानून की राय
विधि आयोग ने भी बच्चों के मानसिक विकास पर तलाक के पडऩे वाले प्रभावों के विषय में चिंता जाहिर करते हुए अपनी १५७वीं रिपोर्ट में ये कहा है कि तलाकशुदा दम्पत्तियों को अपने बच्चे की साझा परवरिश करने का अधिकार मिलना चाहिए। माता पिता के कलह की कीमत बच्चा क्यों चुकाए? बच्चे को किसी एक के भी आसरे से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।
Updated on:
01 Sept 2017 04:49 pm
Published on:
01 Sept 2017 04:47 pm
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