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बांधवगढ़ और कान्हा नेशनल पार्क में 8 माह से बंधक हाथी अपने रहवास में करेंगे विचरण

वन्यजीवों पर कार्य कर रही संस्था ने अपर मुख्य सचिव व मुख्य वन्यजीव संरक्षक को लिखा पत्र

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शहडोल. आठ माह पूर्व शहडोल और अनूपपुर से रेस्क्यू कर बांधवगढ़ व कान्हा नेशनल पार्क में रखे गए हाथी जल्द ही अपने रहवास क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से विचरण करेंगे। वन्यजीवों पर काम करने वाली एल्सा संस्था ने इसके लिए अपन मुख्य सचिव वन विभाग और मुख्य वन्यजीव संरक्षण को पत्राचार किया है। संस्था ने मांग की है कि दोनो हाथियों को एक साथ उनके होम रेंज में छोड़ा जाए। संस्था की इस मांग का भोपाल के वन्यजीव प्रेमी अजय दुबे ने भी समर्थन किया है।

वन विभाग भी दोनों हाथियों को छोडऩे के लिए स्वीकृति प्रदान कर दी है। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ की सीमा से अनूपपुर व शहडोल की सीमा में प्रवेश हाथियों ने प्रवेश किया था। इनमें से एक हाथी ने अनूपपुर और दूसरे ने शहडोल के वनक्षेत्रों से लगे रिहायसी क्षेत्रों में फसलों व लोगों के घरों को नुकसान पहुंचाने के साथ जनहानि भी की थी। हाथियों को वापस लौटाने के भी प्रयास वन विभाग ने किए थे, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया था। वन विभाग ने 25 फरवरी 2024 को अनूपपुर से 25 वर्षीय हाथी का रेस्क्यू कर कान्हा भेज दिया था, जहां उसे किसली हाथी कैम्प में रखा गया है। वहीं 2 मार्च को शहडोल से 10 वर्षीय हाथी का रेस्क्यू कर बांधवगढ़ नेशनल पार्क भेजा गया था, जिसे रामा कैम्प में रखा गया है। वन्यजीव प्रेमी अजय दुबे ने बताया कि दोनो हाथियों को वापस छोडऩे के लिए जबलपुर हाई कोर्ट में लंबित एक जनहित याचिका में मध्य प्रदेश वन विभाग ने बताया है कि वह बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में रखे हाथी को छोड़ देगा और दूसरे हाथी को जंजीरों से बांधने के कारण चोटे आ गई है, उसे ठीक होते ही छोड़ दिया जाएगा।

एल्सा संस्था के संस्थापक प्रकाश ने पत्र में उल्लेख किया है कि वन विभाग द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट से पता चला है कि दोनों हाथियों को अलग-अलग वन क्षेत्र में छोडऩे की योजना बनाई गई है। संस्था का कहना है कि अपरिचित वन क्षेत्र में एकल हाथी को छोडऩे के दुखद परिणाम होते हैं। ऐसे छोडऩा हाथी के लिए अत्यधिक दर्दनाक होता है। दोनों हाथियों को एक ही समय में, एक ही ऑपरेशन में, सर्वोच्च प्राथमिकता पर उनके होम रेंज में छोड़ा जाए।