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आर्थिक मंदी के बीच वैश्विक बिजली की मांग में वृद्धि कम रहने की संभावना

ऊर्जा खपत की वैश्विक वृद्धि दर 2023 में दो फीसदी से थोड़ी कम रह सकती है। यह दर पिछले साल की 2.3 प्रतिशत की वृद्धि से भी कम है। वैसे कोरोना महामारी से पूर्व यह आंकड़ा 2.4 फीसदी था। वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में अगले साल सुधार होने से बिजली की मांग में वृद्धि 3.3 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है।

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जयपुर

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Kiran Kaur

Jul 20, 2023

आर्थिक मंदी के बीच वैश्विक बिजली की मांग में वृद्धि कम रहने की संभावना

आर्थिक मंदी के बीच वैश्विक बिजली की मांग में वृद्धि कम रहने की संभावना

नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आइइए) की इलेक्ट्रिसिटी मार्केट रिपोर्ट अपडेट के अनुसार इस साल दुनियाभर में बिजली की मांग में वृद्धि कम रहने की संभावना है क्योंकि विकासशील अर्थव्यवस्थाएं ऊर्जा संकट और आर्थिक मंदी के प्रभावों से जूझ रही हैं। लेकिन 2024 में इसमें फिर से इजाफा होगा और उस दौरान अधिक नवीकरणीय क्षमता विकसित करने की जरूरत होगी। ऊर्जा खपत की वैश्विक वृद्धि दर 2023 में दो फीसदी से थोड़ी कम रह सकती है। यह दर पिछले साल की 2.3 प्रतिशत की वृद्धि से भी कम है। वैसे कोरोना महामारी से पूर्व यह आंकड़ा 2.4 फीसदी था। वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में अगले साल सुधार होने से बिजली की मांग में वृद्धि 3.3 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है।

बिजली उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा की बढ़ेगी हिस्सेदारी :

मौसम अनुकूल रहा तो 2023 और 2024 में नवीकरणीय ऊर्जा में अत्यधिक बढ़ोतरी होगी। अगले साल तक वैश्विक बिजली उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी एक-तिहाई से अधिक हो जाएगी। नवीकरणीय स्रोतों से वैश्विक उत्सर्जन में कटौती करने में मदद मिलेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि चीन और भारत के उत्सर्जन में वृद्धि की भरपाई अमरीका, यूरोपीय देशों में होने वाली गिरावट कर लेगी जहां प्राकृतिक गैस, कोयले की जगह ले रही है। 2023 और 2024 में बिजली उत्पादन से उत्सर्जन में होने वाली कुल गिरावट का 40 फीसदी हिस्सा अकेले यूरोपीय संघ का है।

ऊंची कीमतों के कारण यूरोपीय उद्योगों ने उपभोग घटाया:

इस साल के शुरुआती छह महीनों में यूरोपीय संघ में बिजली की मांग छह फीसदी घटी है क्योंकि एल्यूमीनियम, स्टील, कागज जैसे ऊर्जा खपत करने वाले उद्योगों ने उच्च कीमतों के कारण अपने उपभोग में कटौती कर दी है। इसके अलावा हल्की सर्दी से भी मांग में कमी आई है। दुनिया के कई हिस्सों में बिजली की थोक कीमतें कम हुई हैं। लेकिन यूरोप में औसत कीमतें अभी भी 2019 के स्तर के दोगुने से अधिक हैं, जबकि भारत में यह चार साल पूर्व की तुलना में 80 प्रतिशत और जापान में 30 फीसदी से अधिक हैं। अमरीका में बिजली की कीमतें लगभग 2019 के स्तर तक पहुंच गई हैं।

गर्मी का असर दिखेगा भारत और चीन की खपत पर:

उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में मांग में भारी गिरावट चीन और भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में देखी गई वृद्धि के बिल्कुल विपरीत है। चीन में इस वर्ष बिजली की मांग 5.3 फीसदी और 2024 में 5.1 प्रतिशत बढऩे की उम्मीद है। भीषण गर्मी से निपटने के लिए कूलिंग उपकरणों के बढ़ते उपयोग के कारण इस वर्ष यहां मांग उच्च बनी रहेगी। वहीं भारत की ऊर्जा खपत 2023 में 6.8 फीसदी और अगले साल धीमी गति से 6.1 प्रतिशत बढ़ सकती है। हालांकि यह दर गत वर्ष की 8.4 फीसदी की वृद्धि से कम है। देश में बिजली की उच्च मांग घरेलू उपकरणों के बढ़ते उपयोग, विद्युत मशीनरी के इस्तेमाल, इलेक्ट्रिक वाहनों में बढ़ोतरी और कूलिंग सिस्टम की अधिकता से बनी रहने की संभावना है

कारक जो बढ़ा रहे वैश्विक मांग