
जयपुर। आजकल हर कोई माइंडफुलनेस यानी सजगता की बात करता है। कहा जाता है कि इससे तनाव कम होता है, नींद बेहतर होती है और जीवन में शांति आती है। लेकिन एक सवाल ये है – क्या ध्यान (मेडिटेशन) वाकई एकाग्रता को तेज़ कर सकता है? अब एक नई रिसर्च कहती है – हां, बिल्कुल कर सकता है।
30 दिन का असर, उम्र नहीं बनती बाधा
USC लियोनार्ड डेविस स्कूल ऑफ जेरॉन्टोलॉजी की एक नई स्टडी में पता चला है कि केवल 30 दिन की गाइडेड माइंडफुलनेस मेडिटेशन से इंसान की ध्यान केंद्रित करने की क्षमता तेज़ और सटीक हो जाती है – और ये असर उम्र की परवाह किए बिना दिखा।
यह रिसर्च अनुमान या भावना पर नहीं, बल्कि साइंटिफिक टूल 'आई ट्रैकिंग' के ज़रिए की गई – जिससे पता चलता है कि हमारी नजरें कहां जाती हैं, यानी ध्यान कहां केंद्रित होता है।
स्टडी के पहले लेखक एंडी जीसू किम ने कहा –
"यह स्टडी दिखाती है कि माइंडफुलनेस सिर्फ सुकून देने वाली चीज नहीं, बल्कि यह दिमाग की ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को बदल सकती है।"
उम्र बढ़ने पर ध्यान क्यों घटता है?
जैसे-जैसे इंसान की उम्र बढ़ती है, दिमाग की प्रतिक्रिया धीमी हो जाती है और ध्यान भटकने लगता है। इसकी एक वजह है – लोकोस कोरुलियस-नॉरएड्रेनालिन सिस्टम, जो हमारे ध्यान, याददाश्त और सतर्कता को नियंत्रित करता है। यह सिस्टम उम्र के साथ कमजोर पड़ता है।
प्रोफेसर मारा मैथर ने इस सिस्टम पर कई साल रिसर्च की है और पाया है कि इसके कमजोर होने का संबंध अल्जाइमर जैसी बीमारियों से भी है।
पहले के शोधों में इशारा था कि माइंडफुलनेस ध्यान इस सिस्टम को मजबूत कर सकता है। परंतु अब पहली बार इसे सटीक आई-ट्रैकिंग से सिद्ध किया गया।
कैसे हुई रिसर्च?
रिसर्चर्स ने 69 लोगों को दो ग्रुप्स में बांटा – कुछ युवा, कुछ अधेड़ और कुछ बुजुर्ग।
तीन बार सभी प्रतिभागियों को लैब बुलाकर विजुअल टास्क करवाया गया – जिससे यह मापा गया कि वे कितनी जल्दी और सटीकता से ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। उनकी आंखों की हर हरकत को रिकॉर्ड किया गया।
ध्यान बढ़ा, उम्र नहीं बनी बाधा
30 दिन बाद परिणाम साफ थे – ध्यान करने वालों की आंखें तेज़ी से सही चीज़ों पर जाती थीं, ध्यान कम भटकता था और वे जल्दी निर्णय लेते थे।
किम कहते हैं –
"हमें लगा था कि बुजुर्गों को सबसे ज़्यादा फायदा होगा, लेकिन फायदा हर उम्र के लोगों को हुआ।"
हैरानी की बात ये रही कि जब प्रतिभागियों से पूछा गया कि उन्हें कितना बदलाव महसूस हुआ – तो ज़्यादातर ने कहा कि कोई खास फर्क महसूस नहीं हुआ। लेकिन उनके दिमाग और आंखों ने अलग कहानी बताई।
दूसरी स्टडी में भी मिले यही नतीजे
फिर दूसरी स्टडी में भी लोगों ने हेडस्पेस ऐप से 30 दिन ध्यान किया। फिर से आई-ट्रैकिंग से पता चला – उनकी नजरें तेज़ हो गईं, रिएक्शन टाइम सुधरा – और वो भी बिना उम्र की परवाह किए।
कुछ सुधार टास्क की प्रैक्टिस से भी हुए होंगे, लेकिन ध्यान से फर्क ज्यादा और साफ तौर पर आया।
शांति नहीं, अब ध्यान में धार
इन रिसर्चों से साफ है – माइंडफुलनेस ध्यान सिर्फ शांति के लिए नहीं, बल्कि दिमाग को ध्यान केंद्रित करने की ताकत देने के लिए भी कारगर है।
इसका असर रोज़मर्रा की चीज़ों पर होता है – जैसे गाड़ी चलाना, पढ़ना, बातचीत करना या सड़क पार करना।
ऑडियोबुक वाले ग्रुप में भी थोड़ा सुधार हुआ, लेकिन ध्यान करने वालों में तेजी से और स्पष्ट सुधार देखा गया।
भविष्य की रिसर्च और संभावनाएं
शोधकर्ता अब लंबी अवधि के ध्यान कार्यक्रमों पर रिसर्च करना चाहते हैं – ताकि पता चल सके कि समय के साथ लाभ और भी मजबूत होते हैं या नहीं।
किम कहते हैं –
"डिजिटल माइंडफुलनेस से दिमागी सेहत को सपोर्ट करना आसान, सस्ता और सबके लिए उपलब्ध उपाय है – ज़रूरत है सिर्फ नियमित अभ्यास की।"
Published on:
10 Jul 2025 05:52 pm
बड़ी खबरें
View Allखास खबर
ट्रेंडिंग
