scriptपीपलू के लोक कलाकार ने काछी घोड़ी नृत्य से राहुल गांधी को बनाया मुरीद | Peeplu's folk artist made Rahul Gandhi a fan of Kachhi Ghodi dance | Patrika News
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पीपलू के लोक कलाकार ने काछी घोड़ी नृत्य से राहुल गांधी को बनाया मुरीद

पीपलू के लोक कलाकार ने काछी घोड़ी नृत्य से राहुल गांधी को बनाया मुरीद
पीपलू. बहुत अच्छा….बहुत अच्छा, घोड़ी का कितना वजन है…इतने वजन से कार्यक्रम में आप तो थक जाते होंगे….यह शब्द भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के सामने सत्यवादी वीर तेजाजी महाराज के अमर बलिदान की गौरव गाथा को पीपलू के लोक कलाकार सीताराम बैरवा ने विश्व प्रसिद्ध लीलण नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किए जाने के बाद राहुल गांधी के मुहं से निकले।

Dec 14, 2022 / 07:28 pm

rakesh verma

पीपलू के लोक कलाकार ने काछी घोड़ी नृत्य से राहुल गांधी को बनाया मुरीद

पीपलू के लोक कलाकार ने काछी घोड़ी नृत्य से राहुल गांधी को बनाया मुरीद

पीपलू के लोक कलाकार ने काछी घोड़ी नृत्य से राहुल गांधी को बनाया मुरीद

पीपलू. बहुत अच्छा….बहुत अच्छा, घोड़ी का कितना वजन है…इतने वजन से कार्यक्रम में आप तो थक जाते होंगे….यह शब्द भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के सामने सत्यवादी वीर तेजाजी महाराज के अमर बलिदान की गौरव गाथा को पीपलू के लोक कलाकार सीताराम बैरवा ने विश्व प्रसिद्ध लीलण नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किए जाने के बाद राहुल गांधी के मुहं से निकले। बैरवा के इस नृत्य को देखकर राहुल गांधी काफी अभिभूत हुए। उन्होंने लोक कलाकार सीताराम बैरवा की पीठ थपथपाई तथा हाथ मिलाते हुए उनके किए गए इस लोक कला के प्रदर्शन की जमकर तारीफ की। सीताराम बैरवा ने राहुल गांधी को बताया कि इसमें 25 किलो वजन है। इस पर राहुल गांधी ने पूछा इतने वजन से तो थक जाते होंगे। बैरवा ने राहुल गांधी को कहा कि रोजगार के लिए कार्यक्रम करना पड़ता है। लोक कलाकार सीताराम बैरवा ने राहुल गांधी से कहा कि उनकी कला के प्रदर्शन का उन्हें सही मेहनताना नहीं मिलता है। वहीं राज्य सरकार द्वारा किसी भी प्रकार का बड़ा सम्मान नहीं मिला है। सीताराम बैरवा का कहना है कि पैदल चलते हुए करीब 10 मिनट तक राहुल गांधी से बात करके अच्छा लगा। 27 वर्षों से कर कच्छी घोड़ी नृत्य राजस्थान के कच्छी घोड़ी लोक नृत्य को पीपलू के कलाकार सीताराम बैरवा ने संजोकर रखा हुआ है। साथ ही राजस्थान का नाम पूरे देश में गौरवान्वित किया हुआ है। कच्छी घोड़ी नृत्य करने के दौरान सीताराम बैरवा को करीब डेढ़ घंटा राजस्थानी परंपरागत वेशभूषा पहनने सहित मेकअप करने में लगता है। सिर पर पगड़ी, कमरबंद, बाजूबंद के साथ राजस्थान की लोक संस्कृति को सीताराम बैरवा ने देश के कोने-कोने में प्रदर्शित किया है लेकिन सरकारी स्तर पर कोई विशेष सहायता नहीं मिली हैं। सीताराम बैरवा वर्ष 2019 में राजस्थान पत्रिका के प्रयासों से टोंक जिला मुख्यालय पर आयोजित हुए स्वाधीनता दिवस में राज्य सरकार के मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास एवं जिला कलेक्टर के हाथों सम्मानित भी हुए हैं। सीताराम का कहना है अब राज्य सरकार द्वारा राज्य स्तर पर सम्मान मिले तो उसे प्रसन्नता होगी। कई शहरों में दे चुके हैं प्रस्तुति पीपलू के कलाकार सीताराम बैरवा गुलाबी नगरी जयपुर के तीज, गणगौर मेले सहित बनारस, बैंगलोर, मुंबई, दिल्ली, कुरुक्षेत्र, सूरजकुंड हरियाणा, चंडीगढ़, भोपाल, इंदौर, मध्यप्रदेश, बीकानेर, शिल्पग्राम, उदयपुर, जयपुर, नागपुर में कच्छी घोड़ी नृत्य की प्रस्तुति दे चुके है। सीताराम ने बताया कि देश की विभिन्न सरकारों द्वारा आयोजित किए जाने वाले सभी उत्सवों में लगभग वह भाग ले चुके हैं। सीताराम को विदेश तक जाने के भी ऑफर मिले लेकिन मेहनताना कम दिए जाने के चलते वह नहीं गए। क्या है कच्छी घोड़ी नृत्य कच्छी घोड़ी नृत्य राजस्थान का लोक नृत्य है। इसमें एक घोड़ी की आकृति के साथ में कलाकार डांस करते है तथा राजस्थान के लोकगीतों के साथ ही परंपरागत वाद्य यंत्रों की धुनों पर यह डांस होता है, जो कि काफी आकर्षण का केंद्र होता है। राजस्थान के वाद्य यंत्र अलगोजा, ढोलक, दो ताल की धुनों पर यह डांस होता है।

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