आज ये तय हो जाएगा कि देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा। ये तो जगजाहिर है कि राष्ट्रपति चुनाव में उत्तर प्रदेश के विधायकों के मत का मूल्य सबसे ज्यादा है और उत्तरपूर्वी राज्यों के विधायकों का मूल्य सबसे कम। सिक्किम, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, पुडुचेरी संघ राज्य क्षेत्र, मेघालय, और मणिपुर के विधायकों के वोट का मूल्य क्रमश: 7, 8, 8, 9, 16, 17 और 18 है। लेकिन क्या आपको पता है कि राजस्थान के विधायकों का मूल्य कितना है और किसी राज्य का विधायक का मूल्य कैसे तय पाता है। चलिए जानते हैं सब कुछ:
देश के 16वें राष्ट्रपति चुनाव को लेकर आज, 18 जुलाई को वोटिंग हो रही है। 21 जुलाई को देश के नए राष्ट्रपति के नाम का एलान किया जाएगा। हर किसी की निगाहें दो प्रमुख उम्मीदवारों पर टिकी हैं। ये हैं एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा। दोनों उम्मीदवारों ने सांसदों और विधायकों को अपने-अपने पाले में करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। आइए जानते हैं प्रमुख राज्यों की स्थिति और क्या दोनों उम्मीवारों के बीच क्या है वोटों की स्थिति?
राष्ट्रपति चुनाव में कुल कितने वोट? राष्ट्रपति चुनाव में सांसदों और विधायकों की कुल संख्या को मिलाकर वोट की वैल्यू निकाली जाती है। इस वक्त देश में सांसदों और विधायकों की कुल वोट वैल्यू है दस लाख 86 हजार चार सौ इकत्तीस (1,086,431)। गौर करने की बात ये है कि इस बार के चुनाव हर सांसद के वोट का मूल्य (Vote Value) 708 से घटकर 700 रह जाएगा।
अप्रत्यक्ष और गुप्त मतदान से होता है राष्ट्रपति का चुनाव राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष और गुप्त मतदान से होता है। इस चुनाव में आम जनता वोट नहीं करती है। राष्ट्रपति के चुनाव में राज्यसभा के निर्वाचित सांसद, लोकसभा के निर्वाचित सदस्य और विधायक इसमें वोट डालते हैं। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर आज की रिपोर्ट में हम वोट वैल्यू को लेकर बात करते हैं। साथ ही यह भी जानेंगे कि राष्ट्रपति चुनाव में वोट वैल्यू क्या होती है और इस बार सांसदों के वोट की वैल्यू क्यों कम हो गई। यह तो आप जानते ही हैं देश के महामहिम का चुनाव गोपनीय तरीके से कराया जाता है। यानी कि निर्वाचक अपना वोट किसी को भी दिखा नहीं सकता है। अगर निर्वाचक अपना वोट किसी को दिखाते हैं तो उनका वोट रद्द कर दिया जाता है। साथ ही, राष्ट्रपति चुनाव में बैलेट पेपर का ही इस्तेमाल किया जाता है।
संसद भवन और राज्य की विधानसभाओं में होगी वोटिंग राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग सांसद संसद (MP to Vote in Parliament House – Loksabha and RajyaSabha) भवन नई दिल्ली में वोट करेंगे। वहीं, विधानसभा के सदस्य अपनी विधानसभा में वोट कर सकेंगे। किसी आपात स्थिति में सांसद और विधायक कहीं भी वोट डाल सकते हैं लेकिन इसके लिए उन्हें 10 दिन पहले चुनाव आयोग को बताना होगा।
सांसद और विधायकों की वोट की वैल्यू जान लीजिए देश के राज्यों के सभी विधायकों के वोट का वैल्यू 5 लाख 43 हजार 231 है। वहीं, लोकसभा के सांसदों का कुल वैल्यू 5 लाख 43 हजार 200 है। इस तरह से दोनों विधायकों की कुल वोट वैल्यू 10 लाख 86 हजार 431 है। इसमें 776 सांसदों की कुल वोट की वैल्यू है- 543,200, जबकि देश के कुल 4,033 विधायकों की वोट वैल्यू है- 543,231।
कुल वोटर्स की संख्या 4,809 चुनाव आयोग ने बताया है कि राष्ट्रपति चुनाव के कुल वोटरों की संख्या 4,809 है। राष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों के चुनावी कॉलेज के सदस्यों और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी समेत सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों के मतों के जरिए किया जाता है। वोट डालने के लिए चुनाव आयोग सभी वोटरों को पेन देगा।
राष्ट्रपति चुनाव में वोट वैल्यू क्या है? राष्ट्रपति चुनाव में सदस्य के वोटों के मूल्य के बारे में संविधान के अनुच्छेद 55 में जिक्र है। इसकी वैल्यू कैसे तय की जाती है इस बारे में भी बताया गया है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में एक MLA के पास सबसे ज्यादा 208 वोट वैल्यू है। यहां सभी 403 विधायकों के वोटों का कुल मूल्य 83824 है। ठीक इसी तरह से सिक्किम में एक विधायक के पास सबसे कम 7 वोट वैल्यू है यानी यहां के कुल विधायकों के वोटों की वैल्यू 224 है। देश में जितने भी निर्वाचित विधायक हैं उनके वोटों का जो मूल्य आता है उसे लोकसभा और राज्यसभा सांसदों की कुल संख्या से डिवाइड किया जाता है। यही एक सांसद के वोट का मूल्य होता है।
कैसे निकालते हैं विधायकों के वोट की वैल्यू ? देश में किसी प्रदेश के MLA के पास कितने मत हैं इसके लिए हम उस राज्य की जनसंख्या (1971 की आबादी) को वहां की विधानसभा सदस्यों की संख्या से डिवाइड करते हैं। इसके बाद जो नंबर आता है उसे फिर 1000 से डिवाइड किया जाता है। इसके बाद जो अंक प्राप्त होता है उससे ही प्रदेश के एक विधायक के वोट का अनुपात निकलता है। अगर शेष 500 से ज्यादा हो तो वेटेज में 1 जोड़ दिया जाता है। जैसे उत्तर प्रदेश में यूपी में एक विधायक के पास सबसे ज्यादा 208 वोट होते हैं। सभी 403 विधायकों के वोटों की कुल वैल्यू 83824 होती है। ठीक ऐसे ही दूसरे राज्यों के वोट की वैल्यू निकालते हैं।
राजस्थान के विधायक की वोट की वैल्यू है 129 इसको हम राजस्थान के उदाहरण से समझते हैं। राजस्थान में 1971 में कुल आबादी 25,765,806 थी। इसको 200 से भाग देने पर 128,829.03 संख्या प्राप्त होती है। इसको फिर से 1000 से भाग देने पर 128.82 की संख्या प्राप्त होगी। इस प्रकार राजस्थान के विधायक के वोट के वैल्यू 129 तय हो जाती है।
सांसदों के वोट की वैल्यू देश के सभी विधायकों के वोटों का जो वैल्यू है उसे लोकसभा और राज्यसभा सांसदों की कुल संख्या से डिवाइड कर दिया जाता है। इसके बाद जो अंक प्राप्त होता है वही एक MP यानी सांसद के वोट का मूल्य होता है। अगर डिवाइड करने पर शेष 0.5 से ज्यादा बचता हो तो वेटेज में एक अंक का इजाफा होता है। यानी एक सांसद के वोट की वैल्यू 708 होती है। यानी राज्यसभा और लोकसभा के कुल 776 सांसदों के वोटों की संख्या 549408 है।
इस बार क्यों कम होगी सांसदों के वोट की वैल्यू? साल 1997 के राष्ट्रपति चुनाव के बाद से संसद सदस्य के वोट का मूल्य 708 निर्धारित किया गया है लेकिन इस बार राष्ट्रपति चुनाव 2022 (Presidential Election 2022) में हर सांसद (MP) के वोट का मूल्य (Vote Value) 708 से घटकर 700 रह जाएगा। जिसकी वजह जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का नहीं होना है। राष्ट्रपति चुनाव में एक सांसद के मत का मूल्य दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर समेत दूसरे राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की विधानसभाओं के लिए निर्वाचित मेंबर की संख्या पर आधारित होता है। जम्मू-कश्मीर में अब तक विधानसभा चुनाव नहीं हुए हैं। ऐसे में जम्मू-कश्मीर के विधायकों के वोट का मूल्य निर्धारित नहीं हो सकेगा और सांसदों की वोट वैल्यू कम हो जाएगी
चलिए जानते हैं राज्यवार विधायकों के वोट की वैल्यूक्या है बहुमत का आंकड़ा? किसी भी उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनने के लिए 543,216 वोटों की जरूरत होती है। ताज़ा राजनीतिक हालात के अनुसार NDA के पास कुल 533,751 से भी ज्यादा वोट हैं, क्योंकि अब झारखंड मुक्तिमोर्चा ने भी मुर्मू को अपना समर्थन दे दिया है, जबकि विपक्ष के खाते में 360,362 वोट ही नजर आ रहे हैं।
महाराष्ट्र से राष्ट्रपति चुनाव में भी बदल गए समीकरण? पिछले माह की 21 जून को विपक्ष के करीब 17-18 दलों ने यशवंत सिन्हा को अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने का फैसला किया। उस वक्त शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने यशवंत सिन्हा को समर्थन देने का एलान किया था, लेकिन अब महाराष्ट्र में सत्ता बदलते ही तस्वीर बदल गई है। एकनाथ शिंदे के समर्थक अब भाजपा के साथ आ गए हैं। लिहाज़ा उनके वोट द्रौपदी मुर्मू को मिलेंगे। इस बीच उद्धव ठाकरे गुट के शिवसेना के बाकी विधायकों और सांसदों ने भी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन देने के लिए दबाव बनाया। उद्धव ठाकरे के पास विधायकों की बात मानने के अलावा कोई और दूसरा रास्ता नहीं था। लिहाजा अब वो मुर्मू का समर्थन करेंगे।
कौन-कौन सी पार्टियां द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में ? महाराष्ट्र में सत्ता बदलने के बाद यशवंत सिन्हा की उम्मीदवारी और कमजोर हो गई है। जब भाजपा ने 18 जुलाई के चुनाव के लिए द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार घोषित किया, तो एनडीए बहुमत के आंकड़े से 13,000 वोट दूर थी। इसके बाद से अकाली दल, बसपा, तेदेपा, वाईएसआरसीपी और बीजेडी का समर्थन मिला और फिर झारखंड मुक्ति मोर्चा का भी समर्थन मिल गया। शिवसेना के पास 10.86 लाख वोटों में से 25,000 से अधिक वोट हैं।
यशवंत सिन्हा की दावेदारी कितनी मजबूत? यशवंत सिन्हा विपक्ष के उम्मीदवार साझा है, लेकिन विपक्ष की कई पार्टियों का उनको समर्थन में नहीं मिला हैं। मुख्य रूप से कांग्रेस, सपा, एनसीपी, टीएमसी, द्रमुक, टीआरएस उनके समर्थन में है। लेकिन विपक्ष के अन्य दल क्या करेंगे, तस्वीर फिलहाल साफ नहीं है। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन भी मुर्मू को वोट करेंगे। इसके अलावा आम आदमी पार्टी ने भी रूख साफ नहीं किया है।