23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Pushpendra Kulshrestha – विचारक ने बताया – फिर 1947 की स्थिति में कैसे आया देश

1947 की स्थिति में कैसे आया देश

2 min read
Google source verification
Pushpendra Kulshrestha Statement

Pushpendra Kulshrestha Statement

खरगोन. भारत रक्षा मंच के बैनर तले राधाकुंज परिसर में व्याख्यान माला का आयोजन किया गया। इसमें राष्ट्रीय चेतना के प्रखर वक्ता पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने भारत की आंतरिक सुरक्षा और चुनौती विषय पर अपनी बात बेबाकी से रखी। उन्होंने कहा- सीएए, एनआरसी ही नहीं पचास ऐसे अंदरूनी मुद्दे है जो भारत को चुनौती दे रहे हैं। भारत को जितनी चुनौती चीन, पाकिस्तान, अमेरिका से नहीं उतनी अंदरूनी मसलों को लेकर है। हिंदू हो मुस्लिम हो, जो भारत के नागरिक है, जो संसद को मानते हैं, तिरंगे को मानते हैं उन्हें इस मामले में आगे आना चाहिए और भ्रांतियों को बेनकाब करना चाहिए।


व्याख्यान माला से पहले कुलश्रेष्ठ ने प्रेसवार्ता को भी संबोधित किया। उन्होंने कहा- जिन मु्द्दों पर पार्टियां विरोध करती हैं समर्थन करती है वह उनका अपना मामला है। समाज में मजहब के आधार पर जो विरोध पर उतारू है, इससे यह लगता है कि इस देश में सीएए और एनआरसी के बहाने देश में अराजगकता फैलाने की कोशिश की जा रही है। बीते सात-आठ सालों से सरकार का मिजाज बदला है। 70 सालों में कुछ लोगों को ऐसी आदत पड़ गई है कि उनके मन की बात नहीं होगी तो उन्हें लगेगा कि देश टूट रहा है।

राष्ट्र के विरोध का अधिकार किसी को नहीं
सीएए पर अपने विचार रखते हुए कुलश्रेष्ठ ने कहा- सरकारों का विरोध करने का अधिकार सभी को है, लेकिन राष्ट्र के विरोध का अधिकार किसी को नहीं है। घरों में बैठकर अमेरिका से लेकर दुनियाभर की बात करने वाले लोग सीएए के बारे में नहीं जानते, या तो वे लोग समझना नहीं चाहते या हम समझा नहीं पा रहे।


देश एक बार फिर 1947 की स्थिति में खड़ा है
कुलश्रेष्ठ ने कहा- वर्तमान में देश एक बार फिर 1947 की स्थिति में खड़ा है। सीएए कानून देश की संसद ने बनाया है, इसे मानना सभी का दायित्व है। आज जो लोग विरोध कर रहे हैं या तो वे समझ नहीं पा रहे या समझना नहीं चाहते। मैं हैरान हूं कि आज देश में विरोध के नाम पर हमें चाहिए जिन्ना, अफजल वाली आजादी के नारे लगाए जा रहे है, कहीं न कहीं लगता है कि देश को पड़ोसी देशों से नहीं बल्कि देश के लोगों से खतरा है।