24 देशों में जाती है अलवर की राखियां
अलवर में घर- घर में राखी तैयार की जाती है। करीब आठ हजार से ज्यादा परिवारों की रोजीरोटी राखी उद्योग से चलती है। यहां पर बनाई गई राखियां भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के 24 देशों में भेजी जाती है। इसमें अरब देशों के साथ कनाडा, अमेरिका, इंग्लैंड सहित अन्य देश शामिल है। विदेशों में बसे भारतीय अलवर में तैयार राखी ही मंगवाते हैं।
देश विदेश में जा रही है अलवर की राखी
मनीष जैन बताते हैं कि राखी उद्योग ने अलवर को विदेशों में पहचान दी है। इस उद्योग को और बढ़ाया जा रहा है। इस बार राखी के 50 हजार से ज्यादा डिजायन तैयार किए गए हैं। इसमें स्टोन वाली, जरीवाली, चंदन, चावल की राखी बनाई गई है। इसमें निम्न वर्ग, मध्यम वर्ग और उच्च वर्ग की मांग के अनुसार राखी बनाई गई है।
ऑर्डर मिलने पर तैयार होती हैं राखियां :
पिछले कुछ सालों में लोगों में धर्म के प्रति आस्था बढ़ी है। राखी उद्योग पर भी इसका असर पड़ा है। इस बार राखी के लिए श्याम बाबा की राखी की तैयार की गई है, जिसकी पूरे देश में मांग है और इसका स्टॉक भी खत्म होने वाला है। ऑर्डर मिलने पर और राखी तैयार की जा रही है। जबकि पहले नेताओं की राखी की मांग रहती थी।
1987 में हुई राखी उद्योग की शुरूआत, आज करोडों का व्यापार:
अलवर में राखी व्यापारी बच्चू सिंह जैन बताते हैँ कि अलवर में राखी उद्योग की शुरूआत 1987 में हुई थी। ज्यादातर महिलाएं इस काम से जुडी हुई है। इस व्यापार को और बढाया जा रहा है। राखी का सालाना करोडों का कारोबार है।