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Result Analysis: परिणाम संतुलित, स्टूडेंट्स को मिलेंगे बेहतर अवसर

मेडिकल, इंजीनियरिंग और अन्य पाठ्यक्रमों में छात्र-छात्राओं को दाखिले लेने में दिक्कतें नहीं होंगी।

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rbse result analysis

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अजमेर.

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के बारहवीं विज्ञान वर्ग के परिणाम को विशेषज्ञों ने संतुलित बताया है। उनका मानना है, कि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन जैसी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद विद्यार्थियों ने अच्छी तैयारी की। ढाई महीने में विद्यार्थियों की पढ़ाई और परीक्षा तैयारी व्यवस्था निश्चित तौर पर प्रभावित रही, लेकिन कुल परिणाम को उन्हें नीचे नहीं गिरने दिया। विज्ञान वर्ग में 91.96 प्रतिशत परिणाम अच्छा कहा जा सकता है। मेडिकल, इंजीनियरिंग और अन्य पाठ्यक्रमों में छात्र-छात्राओं को दाखिले लेने में दिक्कतें नहीं होंगी।

किया जा सकता है परीक्षा में नवाचार
जिन परिस्थितियों में विद्यार्थियों ने परीक्षाएं दीं वह सबके सामने है। परिणाम संतुलित कहा जा सकता है। पिछले साल के मुकाबले 0.92 प्रतिशत परिणाम कम रहना ज्यादा मायने नहीं रखता। यही परिणाम अगर 5 से 8 प्रतिशत तक नीचे रहता तो गिरावट मानी जा सकती थी। लेकिन माध्यमिक शिक्षा बोर्ड चाहे तो पेपर और परीक्षा प्रणाली में नवाचार कर सकता है। पेपर पैटर्न में जेईई मेन, नीट और अन्य परीक्षाओं की तरह बदलाव किए जाएं तो विद्यार्थियों को ज्यादा फायदा मिलेगा।

डॉ. आलोक चतुर्वेदी, रीडर एसपीसी जीसीए

बगैर सुविधाएं पढऩा नहीं आसान
शिक्षा बोर्ड के 50 प्रतिशत विद्यार्थी ग्रामीण क्षेत्रों के हैं। कई जगह इंटरनेट, विषयवार शिक्षकों का अभाव है। कोरोना संक्रमण ने चुनौतियां ज्यादा बढ़ाईं। ऐसे हालात में विज्ञान वर्ग के विद्यार्थियों का 90 प्रतिशत अंक लाना आसान नहीं था। काफी हद तक परिणाम पिछले साल जैसा कहा जा सकता है। परीक्षाओं में परिस्थिति के चलते व्यवधान आए पर विद्यार्थियों ने मेहनत की। उन्हें इंजीनियरिंग, मेडिकल की प्रवेश परीक्षा देने या किसी कॉलेज में सीधे प्रवेश लेने में दिक्कतें नहीं होंगी।

डॉ. उमाशंकर मोदानी, प्राचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज

विज्ञान संकाय सदैव चुनौतीपूर्ण
विज्ञान संकाय का परिणाम सदैव चुनौतीपूर्ण रहता है। सीबीएसई की तुलना में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड थोड़ा कठिन माना जाता है। यहां का पाठ्यक्रम भी कई राज्यों से विशिष्ट है। परिणाम काफी हद तक संतुलित है। जैसी परिस्थितियों से विद्यार्थी निकले हैं उसके अनुरूप तो इसे अच्छा समझा जाना चाहिए। कई विषयों में विद्यार्थियों को 100, 98, 95 नंबर भी मिले हैं। वैसे प्रतिस्पर्धात्मक युग में सौ प्रतिशत अंक भी कम पड़ जाते हैं।
प्रो. अरविंद पारीक, विभागाध्यक्ष बॉटनी एमडीएस यूनिवर्सिटी