
राजसमंद. पाली और राजसमंद, मारवाड़ और मेवाड़ को जोडऩे वाली देसूरी की नाल पर पर हो रहे सडक़ हादसों के चलते उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने घाट क्षेत्र का निरीक्षण किया। इस दौरान कुंभलगढ़ विधायक सुरेंद्र सिंह राठौड़ सहित अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। यहां पर आठ दिसम्बर को बस के ब्रेक फेल होने से पिकनिक जा रही स्कूल बस में सवार तीन छात्राओं की मौत हो गई। इसमें 20 से अधिक लोग घायल हो गए थे। उपमुख्यमंत्री ने यहां खतरनाक मोड़, तीव्र ढलानों और संकरी सडक़ों को देखकर संबंधित विभागों आरएसआरडीसी, पीडब्ल्यूडी और एनएचएआई को तत्काल सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इस दौरान जयपुर, उदयपुर, राजसमंद और पाली से इन विभागों के अधिकारी जैसे राजस्थान राज्य सडक़ विकास एवं निर्माण निगम, आरएसआरडीसी के प्रबंध निदेशक सुनील जय सिंह, सार्वजनिक निर्माण विभाग के सचिव डी.आर.मेघवाल, एनएच पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता सतीश चंद्र अग्रवाल, पीडब्ल्यूडी अतिरिक्त मुख्य अभियंता अशोक कुमार शर्मा, राजसमंद पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण अभियंता मगनीराम रैगर आदि मौजूद रहे। इस दौरान पाली जिला कलक्टर एल.एन.मंत्री भी पहुंचे, उन्होंने उपमुख्यमंत्री से विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।
उपमुख्यमंत्री ने निरीक्षण के दौरान अधिकारियों को सडक़ के चौड़ाईकरण, क्रॉस बैरियर, रंबल स्ट्रिप लगाने और एलिवेटेड रोड की डीपीआर बनवाने के निर्देश दिए। इन सुधारात्मक उपायों से इस मार्ग पर होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम संभव हो सकेगी और यात्रियों को यात्रा में सुरक्षा मिल सकेगी।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि देसूरी की नाल में अब तक कई जानलेवा हादसे हो चुके हैं। इस घाट सेक्शन को सुधारना सरकार की प्राथमिकता है। आगामी एक महीने में यहां अधिकतम सुरक्षा प्रबंधन किए जाएंगे। सेफ्टी वॉल संबंधी कार्य किया जाएंगे। साथ ही इसके स्थाई समाधान के लिए अधिकारियों के साथ चर्चा कर समाधान निकालने का प्रयास करेंगे। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि गत सरकार में भी बतौर सांसद उन्होंने इस रोड को बेहतर बनाने के लिए प्रयास किए थे। अब डबल इंजन की सरकार में इस काम को हर हाल में पूरा किया जाएगा। देसूरी की नाल को सुधारना उनकी प्राथमिकता है।
देसूरी की नाल अरावली पर्वतमाला के बीच से गुजरती है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ खतरनाक ढलानों और तीखे मोड़ों के कारण कुख्यात है। इस 10 किलोमीटर लंबे मार्ग पर पिछले दो दशकों में कई बड़े हादसे हो चुके हैं। साल 2007 में यहां सबसे बड़ा सडक़ हादसा हुआ था। इसमें लगभग 90 व्यक्तियों की जान गई थी। हाल ही में 8 दिसंबर को एक स्कूल बस के पलटने से यहां तीन बच्चों की जान गई थी। यह मार्ग 15 खतरनाक मोड़ों और 5 संकरी पुलियों के चलते बेहद जोखिम भरा है।
Published on:
16 Dec 2024 11:00 am
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