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वैज्ञानिकों को डीएनए के दो सेटों से काइमेरा बंदर के जन्म में मिली सफलता

इस प्रायोगिक कार्य से चिकित्सा के क्षेत्र में नए शोध और लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण में लाभ हो सकता है।

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जयपुर

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Kiran Kaur

Nov 11, 2023

वैज्ञानिकों को डीएनए के दो सेटों से काइमेरा बंदर के जन्म में मिली सफलता

वैज्ञानिकों को डीएनए के दो सेटों से काइमेरा बंदर के जन्म में मिली सफलता


बीजिंग। चीन के वैज्ञानिकों ने डीएनए के दो सेटों के प्रयोग से दुनिया के पहले 'काइमेरा बंदर' के जीवित जन्म में सफलता हासिल की है। विचित्र दिखने वाले इस बंदर की चमकदार पीली अंगुलियां और फ्लोरोसेंट हरी आंखें थीं। काइमेरा ऐसे जीव होते हैं, जिनमें अलग-अलग प्रकार के डीएनए वाले दो या दो से अधिक जीवों की कोशिकाओं के समूह होते हैं। इस प्रायोगिक कार्य से चिकित्सा के क्षेत्र में नए शोध और लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण में लाभ हो सकता है।

अलग प्रजाति के बंदरों की कोशिकाओं से हुआ जन्म:

अधिकांश जानवरों में उनके माता-पिता से प्राप्त मिश्रित कोशिकाएं होती हैं लेकिन काइमेरा बंदर ऐसी कई कोशिकाओं के साथ पैदा हुआ, जो आनुवंशिक रूप से अलग थींं। बंदर का जन्म अलग-अलग प्रजाति के केकड़े खाने वाले दो मैकाक (एक प्रकार का बंदर) से प्राप्त कोशिकाओं से हुआ। जीवित काइमेरा बंदर पैदा करने के लिए शोधकर्ताओं ने पहले सात दिन पुराने भ्रूण से नौ स्टेम कोशिका लाइनें निकालीं। तब कोशिकाओं के प्लुरिपेंट होने की पुष्टि की गई, जिसका अर्थ है कि वे एक जीवित जानवर को विकसित करने के लिए आवश्यक विभिन्न कोशिका ऊतकों में विकसित हो सकती हैं। फिर भ्रूण को मादा मैकाक में प्रत्यारोपित किया गया, जिसके बाद बंदर का जन्म हुआ। हालांकि 10 दिन तक जीवित रहने के बाद यह मर गया।

पहले की तुलना में वैज्ञानिकों को मिली अधिक सफलता:

चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज से जुड़े शोधकर्ताओं के अनुसार यह बंदर दाता कोशिकाओं के उच्च अनुपात (औसतन 67%) के साथ पैदा हुआ था। इसके शरीर में मस्तिष्क, हृदय, किडनी, लिवर आदि में कई दाता कोशिकाएं पाई गईं। इस तरह यह स्टेम कोशिकाओं से निर्मित काइमेरा बंदर का दुनिया का पहला जीवित जन्म है। इससे पहले हुए शोध में बंदर का बच्चा जो जन्म के तुरंत बाद ही मर गया था, उसमें दाता कोशिकाओं का योगदान 0.1 से 4.5 प्रतिशत के बीच था।

एक्सपर्ट व्यू: यह इस क्षेत्र में लंबे समय से अपेक्षित लक्ष्य है। प्रयोग हमें न्यूरोलॉजिकल रोगों के अध्ययन के साथ-साथ अन्य बायोमेडिसिन शोधों के लिए अधिक सटीक मॉडल तैयार करने में मदद कर सकता है। भ्रूण के विकास का अध्ययन करने के लिए काइमेरा महत्त्वपूर्ण हैं, लेकिन अब तक अनुसंधान ज्यादातर चूहों तक ही सीमित रहे हैं।
जेन लियू, शोध प्रमुख, चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज